साहित्य में गद्य और पद्य दोनों महत्वपूर्ण : डॉ शिवओम अम्बर

अभिव्यंजना के स्थापना अवसर पर आयोजित एक विचार एवं काव्य गोष्ठी में उपस्थित कविगण व साहित्यकार।

अभिव्यंजना की स्थापना के अवसर पर काव्य गोष्ठी का हुआ आयाेजन

फर्रुखाबाद, 09 नवंबर (हि.स.)। साहित्य में गद्य व पद्य दोनों महत्वपूर्ण है। भारत भूमि पर ऐसे अनेक मनीषी है जिनकी वजह से प्रत्येक कालखण्ड में हमारी संस्कृत अक्षुण्ण रही है। यह बातें रविवार काे राष्ट्रीय कवि डॉ. शिवओम अम्बर ने कही। वह अभिव्यंजना के स्थापना अवसर पर एक विचार एवं काव्य गोष्ठी में बोल रहे थे।

इस मौके पर महेश पाल सिंह उपकारी की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। गुजरात से आये डॉ सुनील कुमार मानस मुख्य वक्ता रहे। डॉ विद्यनिवास मिश्र को समर्पित इस गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ शिवओम अम्बर ने की।

डॉ सुनील कुमार मानस ने कहा कि पदमभूषण से सुशोभित डॉ विद्यनिवास मिश्र ललित निबंध के पुरोधा थे। उनके निबंधों में संवेदनशील गुदगुदी थी, जो समाज के लिए आज भी प्रेरक हैं। पूरे देश मे उनका जन्मशताब्दी समारोह मनाया जा रहा है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ वन्दना द्विवेदी ने कहा कि डॉ विद्यनिवास मिश्र की रचनाओं में युवाओं के लिए गहरे संदेश हैं। उनका पढ़ना बहुत आवश्यक है।

डॉ रजनी सरीन ने हिन्दी के प्रति लोगों में नकारात्मक भाव आने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी का सामूहिक दायित्व है। डॉ कृष्णकांत अक्षर ने डॉ विद्यनिवास मिश्र के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए संचालन किया।

इस अवसर पर गुंजा जैन, रामावतार शर्मा इंदु, आलोक रायजादा, प्रीति रायजादा, निमिष टण्डन, गौरव मिश्र, अरविंद दीक्षित, अजय चौहान, कुलभूषण श्रीवास्तव, अंजुम दुबे आदि उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / Chandrapal Singh Sengar

   

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