हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को नहीं मिलेगा मुफ्त पानी, सुक्खू सरकार ने पलटा पूर्व भाजपा सरकार का फैसला

शिमला, 8 अगस्त (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने राज्य की खस्ता माली हालत को सुधारने के लिए कठोर निर्णय लेने शुरू कर दिए हैं। वित्तीय संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार ने 125 यूनिट निशुल्क बिजली योजना में बदलाव के बाद अब ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को मिल रहे निशुल्क पानी की सुविधा को बंद कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में गुरूवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व भाजपा सरकार द्वारा लिए गए निशुल्क पानी देने के निर्णय को खत्म कर दिया है।

कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनाव से चंद माह पहले ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क पानी देने की घोषणा की थी। इससे जलशक्ति विभाग को बड़ा घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब पानी के कनेक्शन पर शुल्क लगेगा और लोगों को 100 रूपये मासिक शुल्क देना होगा। उन्होंने कहा कि 50 हजार से कम आय वाले लोगों, विकलांगो, विधवाओं व एकल महिला को पहले की तरह मुफ्त पानी मिलता रहेगा।

बता दें कि प्रदेश के ग्रामीण इलाकोें में पिछले करीब दो सालों से लोगों को निशुल्क पानी की सुविधा मिल रही थी। दरअसल पूर्व भाजपा सरकार ने वर्ष 2022 में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए निशुल्क पानी की घोषणा की थी। मई 2022 से ग्रामीण इलाकों में लोगों को पानी का बिल नहीं देने पड़ रहे थे और इससे करीब 15 लाख लोगों को लाभ मिला था। अब सुक्खू सरकार के फैसले से लाखों लोगोें को जेबें ढीली करनी होंगी।

पुलिस कर्मचारियों को बसों में सफर पर चुकाना होगा किराया

कैबिनेट ने एचआरटीसी के घाटे में चल रहे 168 बस रूटों को फिर से विज्ञापित करने का निर्णय लिया गया है ताकि घाटा कम हो सके। वहीं एचआरटीसी की बसों में सफर करने वाले पुलिस जवानों को केवल सरकारी कार्य के लिए मुफ्त सेवा मिलेगी अन्यथा उसको सेवा का लाभ नहीं मिलेगा। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक एचआरटीसी बसों में रियायती सुविधा का लाभ उठाने वाले सभी पुलिस कर्मियों, जेल अधिकारी, हिमाचल प्रदेश सचिवालय सुरक्षा सेवाएं स्टाफ को एचआरटीसी बस में की जाने वाली यात्रा की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाएगी।

आपदा प्रभावितों को तीन माह तक किराए पर आवासीय सुविधा देगी सरकार

कैबिनेट में सरकार ने आपदा प्रभावितों के लिए बड़ी घोषणा की है। कैबिनेट में निर्णय लिया गया कि आपदा प्रभावित उन परिवारों को 1 अगस्त, 2024 से 31 अक्तूबर, 2024 तक तीन महीने की अवधि के लिए शहरी क्षेत्रों में 10,000 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 रुपये प्रतिमाह किराये पर आवासीय सुविधा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके साथ-साथ उन्हें मुफ्त राशन, एलपीजी सिलेंडर, बर्तन और बिस्तर भी उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया गया है। प्रभावित परिवारों को 50,000 रुपये की तत्काल वित्तीय सहायता भी वितरित की जाएगी।

नौकरियों का खोला पिटारा, 1000 पदों पर होगी भर्ती

कैबिनेट ने बेरोजगारों के लिए नौकरियां का पिटारा खालते हुए करीब 1000 पदों को भरने का निर्णय लिया है। कांगड़ा जिला में डॉ. राजेंद्र प्रसाद राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, टांडा में विभिन्न श्रेणियों के 462 पद सृजित कर भरने का निर्णय लिया गया। इसमें चिकित्सा अधिकारियों के 14 पद और मनोचिकित्सक तथा क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक के चार-चार, स्टाफ नर्स के 300, रेडियोग्राफर के 2, वार्ड ब्वॉय के 47, ऑपरेशन थियेटर सहायक के 4, ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर के 2, डाटा एंट्री ऑपरेटर के 10, चतुर्थ श्रेणी के 5, सफाई कर्मचारी के 40 और सुरक्षा गार्ड के 30 पद शामिल हैं।

इसी तरह आईजीएमसी, शिमला और अटल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशियलिटीज चमियाना में विभिन्न श्रेणियों के 489 पदों को सृजित कर भरने का भी निर्णय लिया गया है। आईजीएमसी शिमला में विशेषज्ञ चिकित्सा अधिकारी के 21 और चमियाना अस्पताल में सुपर-स्पेशियलिटी चिकित्सा अधिकारी के 7 पद शामिल हैं। स्टाफ नर्स के 400 पद, ऑपरेशन थियेटर सहायक के 43, नर्सिंग ऑर्डरली-सह-ड्रेसर के 11, आहार विशेषज्ञ के 2, फिजियोथेरेपिस्ट का एक तथा डाटा एंट्री ऑपरेटर के 4 पद भरने को स्वीकृति प्रदान की गई है।शहरी विकास निदेशालय में पर्यावरण प्रभाग को सृजित करने और अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों पर निगरानी के लिए विभिन्न श्रेणियों के 5 पदों को सृजित करने को स्वीकृति प्रदान की गई है।

बैठक में अभियोजन विभाग में सहायक जिला अटॉरनी के 12 पदों को सृजित कर भरने को भी स्वीकृति दी गई।

जिला हमीरपुर के समीरपुर और भरेड़ी खण्डों में जल शक्ति विभाग के नए उपमण्डल कंजयाण के लिए विभिन्न श्रेणियों के 12 पदों को सृजित कर भरने को स्वीकृति प्रदान की गई।

खनन नियमों में किया संशोधन

कैबिनेट ने हिमाचल प्रदेश माइनर मिनरल्ज (कन्सैशन) एंड मिनरल्ज (प्रिवेन्शन ऑफ इल्लिगल माइनिंग, ट्रांसपोटेशन एंड स्टोरेज) नियम, 2015 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। नए प्रावधानों के तहत, राज्य में खनन के लिए उपलब्ध उपयुक्त निजी भूमि को भूमि मालिकों की सहमति से खनिजों को निकालने के लिए नीलाम किया जा सकेगा जिसके लिए भूमि मालिकों को वार्षिक बोली राशि का 80 प्रतिशत दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, व्यवस्थित, वैज्ञानिक और सतत् खनन को बढ़ावा देने तथा खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नदी तल में खनिज उत्खनन को मशीनरी के उपयोग की अनुमति प्रदान की गई। नदी तल में खनन की गहराई को मौजूदा एक मीटर से बढ़ाकर दो मीटर किया गया है। हर मानसून के मौसम के बाद कृषि क्षेत्रों से दो मीटर की गहराई तक रेत और बजरी निकालने की अनुमति का प्रावधान किया गया है, जिसे गैर-खनन गतिविधि माना जाएगा। इसके अलावा, नए संशोधनों में इलेक्ट्रिक वाहन शुल्क के रूप में पांच रुपये प्रति टन, ऑनलाइन शुल्क के रूप में पांच रुपये प्रति टन और दूध उपकर के रूप में दो रुपये प्रति टन शुल्क लिया जाएगा। गैर-खनन गतिविधियों से प्राप्त सामग्री के उपयोग के लिए रॉयल्टी का 75 प्रतिशत (140 रुपये प्रति टन) प्रसंस्करण शुल्क सरकार को देय होगा।

मंत्रिमंडल ने पुलिस आरक्षियों के पदों की भर्ती प्रक्रिया को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र में लाने को स्वीकृति प्रदान की।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा / सुनील शुक्ला

   

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