राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन सहित कौशल के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र जैसी नई पहल स्वागतयोग्य : सीईईडब्ल्यू
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- Feb 01, 2025
नई दिल्ली, 01 फरवरी (हि.स.)। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के सीनियर प्रोग्राम लीड ऋषभ जैन ने कहा कि केंद्रीय बजट में घरेलू विनिर्माण और निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने पर उचित रूप से ध्यान दिया गया है, जिससे नए रोजगार, आर्थिक विकास और एक सतत ऊर्जा परिवर्तन लाएगा। अभी कई स्वच्छ ऊर्जा उपकरण निर्माताओं के लिए कृत्रिम बिक्री लागत और अत्यधिक क्षमता के कारण चीन की बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल होता जा रहा है।
सीईईडब्ल्यू के विश्लेषण से पता चलता है कि बैकवर्ड और फॉरवर्ड इंटीग्रेशन के साथ भारत में बैटरी एनोड, सोलर वेफर्स, सिल्वर पेस्ट, विंड टर्बाइन गियरबॉक्स इत्यादि जैसे कई स्वच्छ ऊर्जा घटकों में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है। हालांकि, खनिजों की कमी और उनके प्रोसेसिंग की तकनीकी क्षमता, विनिर्माण उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता, सीमित कुशल कार्यबल और व्यापार बाधाएं सीमा लगाने वाले आम कारक हैं। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, निर्यात संवर्धन मिशन, भारत ट्रेड नेट और कौशल के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र जैसी नई पहल स्वागतयोग्य हैं, लेकिन इन्हें अंतर-मंत्रालयी कार्यों और राज्य व केंद्र सरकारों के बीच घनिष्ठ सहयोग के माध्यम से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, तेजी से बदलती तकनीक के साथ, उद्योगों को शोध एवं विकास में भी निवेश करने की जरूरत है और वे पीएम रिसर्चर फेलोशिप से आने वाली प्रतिभा का उपयोग कर सकते हैं।
सीईईडब्ल्यू के फेलो और डायरेक्टर-स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप, कार्तिक गणेशन ने कहा, यह बजट एक ऐसे क्षेत्र के लिए अतिआवश्यक मदद उपलब्ध कराता है, जिसे लगातार फंडिंग नहीं मिली है, जबकि यह दुनिया के सबसे पुराने परमाणु कार्यक्रमों में से एक है। स्वदेशी मॉड्यूलर रिएक्टर के लिए जरूरी शोध एवं विकास (आरएंडडी) के लिए प्रयास बहुत जरूरी हैं और 5 रिएक्टरों के लिए 2033 तक की समय सीमा इसे बाजार में सबसे तेजी से आने वाले कार्यक्रमों में से एक बना देगी। इसके विकास को रफ्तार देने और दूसरे देशों के कार्यों से सीखने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी एक स्वागत योग्य कदम होगा।
सीईईडब्ल्यू के सीनियर प्रोग्राम लीड नितिन बस्सी ने कहा कि जल जीवन मिशन को 2028 तक बढ़ाना ग्रामीण भारत में घरेलू जलापूर्ति सेवाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे शेष 20 प्रतिशत ग्रामीण घरों (लगभग 3.9 करोड़) तक नल कनेक्शन पहुंचाने में मदद मिलेगी। सीईईडब्ल्यू के अध्ययन में सामने आया है कि जलापूर्ति के लिए बुनियादी ढांचा बनाने के साथ-साथ उनकी विश्वसनीयता और पीने योग्य गुणवत्ता को सुनिश्चित करना जरूरी है। यह विस्तार जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से कुशल संचालन और रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए उसी दिशा में काम करेगा। इसके अलावा, आपूर्ति किए गए पानी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और डेटा आधारित निगरानी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / विजयालक्ष्मी