विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता,अमानवीय तांडव की टीस आज भी:मुख्यमंत्री धामी

बुधवार को सुभाष रोड स्थित होटल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’पर फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन करते।बुधवार को सुभाष रोड स्थित होटल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित करते।

-छोटी-छोटी घटनाओं पर विरोध का रोना रोने वाले बांग्लादेश पर आज गायब हो गये हैं

-विभाजन विभीषिका की पीड़ा सह चुके लोग प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में सहयोगी बने हैं

देहरादून, 14 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। अमानवीय तांडव कभी न भरने वाला घाव दे गया, जिसकी टीस आज भी हमें महसूस होती है। यह दिवस हमारी भावी पीढ़ी को इतिहास की उस विभीषिका से परिचित कराता रहेगा। जब 15 अगस्त 1947 को हम आजादी का जश्न मना रहे थे, वहीं दूसरी ओर देश के विभाजन का भी हमने दुख सहा है।

बुधवार को सुभाष रोड स्थित होटल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’पर संबोधित करते हुए यह बातें कही। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लोगों को नमन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने विभाजन की विभीषिका का दर्द सहने वाले तमाम सेनानियों के परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के कारण सामने आई परिस्थितियों को देखते हुए भारत दो टुकड़ों में विभक्त हुआ। लाखों लोग इधर से उधर हुए उनका घर-बार छूटा, परिवार छूटा, लाखों की जानें गईं। वर्ष 2021 में इसी दर्द को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 14 अगस्त को ’’विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ मनाने का निर्णय लिया। तब से यह दिन मनाया जा रहा है, जिससे हम अपने उन लाखों सेनानियों और परिवारजनों से बिछड़े लोगों के बलिदान को याद कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिन उन सभी सेनानियों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत मां के लिए बलिदान दिया। भारत के बंटवारे ने सामाजिक एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया था। यह हमारा कर्तव्य है कि हम देश को स्वतंत्र कराने वाले और देश के विभाजन की यातनाएं झेलने वाले मां भारती के प्रत्येक सपूत के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाजन विभीषिका की पीड़ा सह चुके लोग प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के विकास में सहयोगी बने हैं। देश विभाजन के समय हुई दर्दनाक हिंसक घटनाओं ने मानवता को ही शर्मसार नहीं किया बल्कि हिंसा का वह अमानवीय तांडव कभी न भरने वाला घाव दे गया, जिसकी टीस आज भी हमें महसूस होती है। यह दिवस हमारी भावी पीढ़ी को इतिहास की उस विभीषिका से परिचित कराता रहेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा पिछले वर्ष रूद्रपुर में आयोजित विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर उन्होंने विभाजन का दंश झेलने वालों की स्मृति भी विभाजन विभीषिका स्मृति स्मारक बनाये जाने की घोषणा की थी, जिस पर कार्य चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने विभाजन की विभीषिका को इतिहास का काला अध्याय तथा दुनिया का सबसे बड़ा विभाजन बताते हुए कहा कि लाखों लोगों ने अपनी जान गवांकर विभाजन के साथ विस्थापना का दर्द झेला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1947, 1971 के बाद आज फिर बांगलादेश की घटना लोगों के लिए पलायन के लिए मजबूर कर रही है। आज हम सबको बांग्लादेश के हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की चिन्ता करनी है। किन्तु देश में छोटी-छोटी घटनाओं पर विरोध करने और मानवाधिकार का रोना रोने वाले न जाने कहां खो गये हैं, वे सीन से ही गायब हो गये हैं। यह अवसर सजग और सचेत रहने के साथ ऐसे ढोंगियों से सतर्क रहने का भी है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विभाजन का पीड़ा झेलने वालों ने अपनी प्रबल इच्छा शक्ति तथा कौशल के बल पर देश व प्रदेश के विकास में अहम योगदान दिया है। उनका यह योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने दिखाया कि प्रबल इच्छा शक्ति के बल पर क्या कुछ नहीं किया जा सकता है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर विभाजन विभीषिका से संबंधित फोटो प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

कार्यक्रम में उपाध्यक्ष उच्च शिक्षा उन्नयन समिति डॉ देवेन्द्र भसीन, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण समिति विश्रवास डाबर, भाजपा महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल, उद्यमी राकेश ओबेराय और अपने बचपन में विभाजन की विभीषिका का सामना करने वाले डॉ कुलदीप दत्त किशन लाल बिज ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर विधायक खजान दास, उमेश शर्मा काऊ, सविता कपूर, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, अनिल गोयल, संतोश नागपाल, डी.एस. मान, नीरज कोहली सहित बड़ी संख्या में विभिन्न संस्थाओं से जुड़े लोग और समाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / आकाश कुमार राय

   

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