
हाथरस, 10 मई (हि.स.)। क्षेत्र के गांव भुकलारा और कस्बा सहपऊ में महाराणा प्रताप की शोभायात्रा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में लोगों ने महाराणा प्रताप के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए। भुकलारा में ट्रैक्टर-ट्रॉली पर महाराणा प्रताप के चित्र के साथ विभिन्न झांकियां निकाली गईं।
युवाओं ने नृत्य करते हुए 'जय महाराणा प्रताप' के जयकारे लगाए। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
कार्यक्रम से पूर्व आयोजित बैठक में वक्ताओं ने महाराणा प्रताप के साहस और वीरता का स्मरण किया। उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य के सामने कभी सिर नहीं झुकाया। इसके लिए उन्हें जंगलों में रहना और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। वक्ताओं ने हल्दीघाटी युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि अकबर स्वयं महाराणा प्रताप से युद्ध करने नहीं आया। मेवाड़ के शासक बनने के बाद अकबर ने कई राजपूत राजाओं को संधि का प्रस्ताव लेकर भेजा और जागीर का प्रलोभन दिया। लेकिन महाराणा प्रताप ने इन सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। उनके इसी साहस और दृढ़ संकल्प के कारण भारत की सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवित है।
हिन्दुस्थान समाचार / मदन मोहन राना