चंडीगढ़ PGI में रोबोट से हुई नसबंदी रिवर्स सर्जरी:पुरुष बन फिर बन सकेंगे पिता,देश में हुई पहली बार; नई तकनीक से बढ़ी उम्मीद

चंडीगढ़ पीजीआई ने देश में पहली बार एक खास रोबोटिक तकनीक से नसबंदी वापस जोड़ने (वेसोवासोस्टॉमी) की सर्जरी की है। यह सर्जरी 9 जुलाई को 43 साल के एक व्यक्ति पर की गई, जिसने कुछ साल पहले नसबंदी करवाई थी, लेकिन अब दोबारा संतान चाहता था। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज को सर्जरी के अगले दिन ही छुट्टी दे दी गई, और अब वह पूरी तरह ठीक है। इस सर्जरी में डॉक्टरों ने da Vinci® रोबोट सिस्टम की मदद से नसबंदी के दौरान कट चुकी नसों को दोबारा जोड़ा। इस तकनीक से बेहद बारीकी से, बाल से भी पतली सूई और धागे से टांके लगाए जाते हैं, जिससे गलती की संभावना बहुत कम हो जाती है। सर्जरी करने वाली टीम यह सर्जरी पीजीआई के यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने की- जानिए इस सर्जरी के बारे में इस सर्जरी को वेसोवासोस्टॉमी कहते हैं। यह तब की जाती है जब कोई पुरुष नसबंदी करवाने के बाद दोबारा पिता बनना चाहता है। इस ऑपरेशन में कट चुकी नसों को जोड़ दिया जाता है, ताकि शरीर में फिर से शुक्राणु जा सकें और संतान होने की संभावना बन सके। पहले यह ऑपरेशन माइक्रोस्कोप से होता था, लेकिन अब पहली बार भारत में रोबोट से यह सर्जरी हुई है। डॉ. आदित्य शर्मा ने कहा, "रोबोटिक तकनीक से यह सर्जरी बहुत आसान और सुरक्षित हो गई है। डॉक्टर थकते नहीं, कांपते नहीं और बहुत सटीक तरीके से नसों को जोड़ते हैं। इससे मरीज को जल्दी राहत मिलती है।" प्रो. रवि मोहन ने कहा, "रोबोट का इस्तेमाल अब सिर्फ कैंसर जैसी बीमारियों में नहीं, बल्कि पुरुषों की संतान संबंधी समस्याओं में भी किया जा सकता है। यह तकनीक बहुत काम आएगी।" पीजीआई बना देश का पहला अस्पताल अब पीजीआई उन कुछ चुनिंदा अस्पतालों में शामिल हो गया है, जहां रोबोट से नसबंदी रिवर्स सर्जरी होती है। डॉक्टरों ने कहा कि वे इस तकनीक पर रिसर्च पेपर भी छापेंगे ताकि देश के और अस्पतालों में भी इसका इस्तेमाल शुरू हो सके। डॉक्टरों ने इस कामयाबी का श्रेय विभागाध्यक्ष प्रो. उत्तम मेटे और संस्थान के निदेशक प्रो. विवेक लाल को दिया, जिनके सहयोग से यह सर्जरी सफल हुई। इस सर्जरी से उन परिवारों को राहत मिल सकती है जो पहले नसबंदी करवा चुके हैं लेकिन अब दोबारा संतान चाहते हैं। यह तकनीक ऐसे दंपत्तियों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है।

   

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