गांधी वाटिका में गहलाेत ने भ्रष्टाचार किया, घटिया पत्थर लगाया : दिलावर

जयपुर, 28 सितंबर (हि.स.)। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि दुख है कि महात्मा गांधी जैसे सच्चे आदमी, जो ईमानदारी की मिसाल थे। उनके नाम पर भी कांग्रेस भ्रष्टाचार कर गई। कोटा स्टोन की जन्मस्थली रामगंज मंडी है, मैं वहां से चुनकर आता हूं। जहां पर सबसे ज्यादा कोटा स्टोन है, लेकिन यहां पर सबसे बेकार पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। यह वाटिका बनाने में भी अपने आप को राजस्थान का गांधी कहने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भ्रष्टाचार का खेल खेला।

जयपुर में शनिवार को गांधी वाटिका का निरीक्षण करने पहुंचे मंत्री दिलावर ने कहा कि गांधी वाटिका में भगवान राम के बारे में कोई चर्चा नहीं है। यहां महाराणा प्रताप के बारे में कोई चर्चा नहीं है। नाम ठीक है, लेकिन जिस तरीके से गांधी के नाम का इस्तेमाल किया, वैसा इस वाटिका में कुछ नहीं है। कांग्रेस के लोग गांधी की संतान नहीं हैं। चाहे सोनिया गांधी हो, राहुल गांधी हो, सबने उनके नाम का उपयोग करके देश को भ्रमित करने का प्रयास किया है। कांग्रेसी खुद को लोकतंत्र का प्रहरी बताते हैं। लेकिन 1975 में आपातकाल लगाकर भारत के संविधान को निलंबित कर दिया था। उस समय कहा था कि अब वही होगा, जो इंदिरा कहेगी। देश की जनता ने उन्हें चुनाव में आईना दिखा दिया था।

राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए दिलावर ने कहा कि कांग्रेस के प्रतिपक्ष के नेता दुर्भाग्यवश एक विदेशी महिला के पेट से जन्मे हुए बालक हैं। इनको भारत से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए वह कहते हैं कि भारत वासी मंदिर लड़कियां छेड़ने जाते हैं। वह कहते हैं कि भगवान राम का कोई लेना-देना नहीं है। वैसे भी उनका भारत से क्या लगाव है। कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, जिसकी स्थापना विदेशियों ने की थी। विदेशियों की श्रद्धा हमेशा कांग्रेस में कूट-कूट कर रही है। मैंने आज फोटो देखी है, उन विदेशियों की, जिन्होंने हमारे ऊपर राज किया। गांधी वाटिका में उनका महिमामंडन किया जा रहा है।

मंत्री दिलावर ने कहा कि दाे अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इसका उद्घाटन करेंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि इस वाटिका में जो छोटी-मोटी कमियां रही हैं, उसे ठीक करेंगे। कोशिश करेंगे कि गांधी का जो दर्शन था। उसे सही से दिखाने का प्रयास करें। मैं दार्शनिक या विद्वान नहीं हूं। इतिहास की जानकारी भी नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट बैठेंगे, वह राय देंगे। उनकी राय के अनुसार गांधी के दर्शन के अनुसार बदलाव होगा। वाटिका में महापुरुषों को जगह मिलनी ही चाहिए। यहां गांधी का चित्रण किया गया है, लेकिन बहुत सारे चित्र वहां ऐसे हैं, जो प्रासंगिक नहीं है। अगर होते तो महाराणा प्रताप, मीराबाई जैसे अनेक प्रदर्शन के चेहरे थे, लेकिन गिने-चुने चेहरों का इस्तेमाल किया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

   

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