मेले प्राचीन संस्कृति के प्रतीक, इनका संरक्षण जरूरी: राेहित ठाकुर

शिमला, 15 सितंबर (हि.स.)। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा है कि मेले, बिशु एवं त्योहार हमारी प्राचीन परंपरा के प्रतीक है। यह मेले कही न कही देव संस्कृति से भी जुड़े हुए हैं जिससे इनका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। प्रदेश के यही मेले, बिशु एवं त्योहार पूरे भारत वर्ष में अपनी एक अलग पहचान रखते है। आज की युवा पीढ़ी को आगे आकर इनके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ताकि हमारी प्राचीन परंपरा का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

रोहित ठाकुर ने यह बात रविवार को शिमला जिला के जुबड़ी ब्यौन सांबर (ठियोग) में रिहाली मेले के समापन अवसर पर कही।

उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में यह मेला आयोजित किया जा रहा है यह ठियोग एवं जुब्बल कोटखाई विधानसभा क्षेत्र का संगम है। इसके विकास के लिए किसी भी प्रकार की कमी नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा प्रदेश सरकार की प्राथमिकता ही दुर्गम क्षेत्रों का विकास करना है।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री ने क्षेत्र के लोगों की मांग अनुरूप राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला क्यार में पीजीटी संस्कृत का पद स्वीकृत करने की घोषणा की।

रोहित ठाकुर ने कहा कि मेला ग्राउंड को चौड़ा करने के लिए एफसीए के अंतर्गत स्वीकृति लेनी होगी। स्वीकृति उपलब्ध होने के बाद इसके चौड़ा करने के लिए पैसों का उचित प्रावधान किया जायेगा। उन्होंने कलाहर एवं जुबड़ी सामुदायिक भवन निर्माण के लिए 5-5 लाख रुपए देने की भी घोषणा की।

शिक्षा मंत्री ने मेला कमेटी के लिए मेला आयोजन के लिए 51 हजार रुपए देने की घोषणा की। वहीं जिम्मू एवं खशधार ठोड़ा दल, गुठान नृत्य दल एवं स्कूल की छात्राओं को प्रस्तुतियों के लिए 11- 11 हजार रुपए देने की घोषणा की।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा

   

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