नवरात्रि से पहले ही राजधानी जयपुर में मां दुर्गा और रावण के पुतले लेने लगे आकार

शारदीय नवरात्रि से पहले ही राजधानी जयपुर में मां दुर्गा और रावण लेने लगे आकारशारदीय नवरात्रि से पहले ही राजधानी जयपुर में मां दुर्गा और रावण लेने लगे आकारशारदीय नवरात्रि से पहले ही राजधानी जयपुर में मां दुर्गा और रावण लेने लगे आकार

जयपुर, 28 सितंबर (हि.स.)। तीन अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि काे लेकर राजधानी जयपुर सहित पूरे प्रदेश में तैयारियां शुरू हो गई है। दुर्गा पूजा के लिए मां दुर्गा की प्रतिमाएं तैयार हो रही हैं तो कहीं रावण दहन के लिए रावण के पुतले भी आकार लेने लगे हैं।

जयपुर शहर में नवरात्रि के दौरान पूरा माहौल धर्ममय रहता है। शहर में अनेक जगहों पर रामलीलाएं होंगी। इनमें परम्परागत रूप से आदर्श नगर में रामलीला का आयोजन शुरू होगा। इसके अलावा भी कई जगह रामलीलाएं होंगी। बनीपार्क में दुर्गा पूजा का बड़ा आयोजन भी हर वर्ष की भांति होगा। आमेर, सांगानेर, वैशाली आदि इलाकों में भी दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। तीन अक्टूबर को नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही घट स्थापना होगी। अधिकांश स्थानों पर घटस्थापना अभिजीत मुर्हूत में होगी। आमेर की शिला माता मंदिर में घटस्थापना को लेकर तैयारियां प्रारम्भ कर दी गई है। नवरात्रि पर्व को देखते हुए जिले में मां दुर्गा की प्रतिमाओं के लिए पूजा पंडाल बनाने की कवायद तेज हो गया है। मूर्तिकार भी माता की प्रतिमा को फाइनल टच देने में लगे हुए हैं। नवरात्रि के नजदीक आते ही श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमाओं के लिए पूजा पंडाल बनाने की कवायद शुरु कर दिया गया है। नवरात्रि इस बार दस दिन के होंगे। इसे अच्छा माना गया है। इसके बाद दशमी को रावण दहन होगा।

मूर्ति कलाकार माता रानी को अलग-अलग रूप में सजाने लगे

मूर्ति बनाने वाले जग्गू ले बताया कि वह अपने परिवार के साथ कई वर्षों से पीओपी की मूर्ति बना रहा है। पीओपी की मूर्ति बनाने के लिए पीओपी का घोल बनाकर उसे सांचे में डाला जाता है। सांचे में पीओपी सूखने के बाद उसे सांचे से बाहर निकाल कर रंग भरा जाता है। जग्गू ने बताया कि वह सीजन के हिसाब से ही अलग-अलग तरीकों से मूर्ति बनाते है। इसके अलावा वह वास्तु के हिसाब से लॉफिग बुद्वा, कछुआ, ऊंट, हाथी, चिड़िया आदि की मूर्ति बनाते है। इसके रंगों का चयन वो यू ट्यूब देकर करते है। हर मूर्ति में तीन से चार तरह के रंगों का उपयोग किया जाता है।

नारियल की जटा की है अहम भूमिका

जग्गू ने बताया कि पीओपी का घोल बनाते समय ही इसमें नारियल की जटा डाली जाती है । जिसके बाद उसे सांचे में डाला जाता है। पीओपी के सूखने के बाद नारियल की जटा पीओपी को जकड़ लेती है । जिससे मूर्ति खंडित नहीं होती। एक मूर्ति सप्ताह भर में सूख कर तैयार हो जाती है। जिसके बाद उसमें रंग भरा जाता है।

जयपुर में कई जगहों पर रावण के पुतले बनाने का काम जोरों पर

शहर में अलग-अलग जगहों पर रावण के पुतले बनाने का काम जोरों पर चल रहा है। शहर में रावण बनाने वाले कारीगर और उन्हें बेचने वाले कारोबारियों को इस बार दशहरे से काफी उम्मीदें हैं। जयपुर की सडकों पर बांस की खप्पचियों में तार बांध-बांध कर सैकड़ों की संख्या में रावण तैयार किए जा रहे है। कुछ दिनों बाद सड़क पर सजे हुए यह रावण मानसरोवर, गुर्जर की थड़ी, आतिश मार्केट आदि स्थानों पर देखने को मिलेगे।

मानसरोवर में कारीगर हरजीराम ने बताया कि उसका पूरा परिवार चालीस वर्षों से रावण के पुतले बना रहा है। इस काम में घर के सभी लोग सहयोग दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार घर के कई काम इसी कमाई से पूरे होने की उम्मीद है। रावण बनाने वाले सभी को दशहरे से काफी उम्मीद है। अगर इस बार रावण अधिक संख्या में बिक गए तो घर के लंबित पड़े कई काम हो सकते हैं। जिनका वह पिछले कई सालों से इंतजार कर रहे हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

   

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