आसपास के मंदिर जाएंगे तो किसी की हिम्मत नहीं पड़ेगी कि उसे तोड़कर कोई मस्जिद बना दे - संत रमाकांत

लखनऊ, 02 दिसंबर (हि.स.)। लखनऊ में भक्तमाल कथा के अंतिम दिन खाटू श्याम मंदिर प्रांगण में जुटे श्रोतागण के सम्मुख मथुरा वृन्दावन से पधारे संत रमाकांत जी महाराज ने कहा कि पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने महाराष्ट्र में छह किला का निर्माण कराया। सभी सशक्त किला बनाए गए थे, बड़ी चुनौतियों का सामना करने वाले थे। माता अहिल्याबाई को शिव महापुराण कंठस्थ था। बहुत सारे श्लोक उन्हें याद था, जिसका वह प्रतिदिन पाठ किया करती थीं। श्लोक के पाठ से उनका आत्मबल बढ़ता था। यहां आए श्रोतागण से अनुरोध है, अपने आसपास के मंदिर में जाएं, वहां आने वाले लोगों से मिलें और परिचय करें। फिर किसी की हिम्मत नहीं पड़ेगी कि वहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दे।

संत रमाकांत जी महाराज ने कहा कि शिवपुराण में कई तरह के जन्म के बारे में लिखा है। कई प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है, तभी मनुष्य का जन्म होता है। सुखदेव जी कथा सुनाते हैं, देवता और दानव का युद्ध हो रहा है। देवता हारने लगे तो राजा मुचकुंड से सहायता मांगी और युद्ध जीत गए। राजा मुचकुंड ने देवताओं से वर मांगा कि कृष्ण कन्हैया के दर्शन करा दीजिए। देवता ने वर दिया दर्शन होगा, तभी तक के लिए सो जाओ। दूसरा वर भी दिया कि आपको कृष्ण कन्हैया ही उठाएंगे। ऐसा ही हुआ, राजा मुचकुंड सोते रहे और भगवान ने ही जगाया। कृष्ण कहते हैं, तुमने मेरी लंबी प्रतीक्षा की है। कोई वर मांग लो। राजा ने कहा, मुझे कुछ नहीं चाहिए। हम अच्छे कर्म, धर्म कर्म करते हैं तो आपको ही पाने के लिए करते हैं। मैं तो आपको पा ही गया।

संत रमाकांत जी महाराज ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के गुरु बीमार थे। विवेकानंद ने अपने गुरु से कहा कि कोई अष्ट सिद्धि, नौ निधियों से ऊपर कुछ है तो उसके बारे में बताएं। गुरु ने कहा कि वह तो कृष्ण कन्हाई हैं। वहां पर विवेकानंद जी कहते हैं कि गुरु आपकी बताई भक्ति में पूरा सार है।

पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी वर्ष में आयोजित भक्तमाल कथा में संत रमाकांत गोस्वामी ने नानीबाई का मायरा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि नरसी मेहता की पत्नी का देहांत हुआ है और गांव के लोग भोज के लिए कह रहे है। तभी कुछ यात्री आए और सात सौ रुपए देकर हुंडी लिखवा कर द्वारिका चले गए। जिस रुपए से नरसी ने भगवान को भोग लगाकर भोज किया है। इधर, यात्री द्वारिका में साहूकार को खोज रहे है तो वहां कृष्ण कन्हाई खुद ही बैठकर साहूकार बन जाते है।

भक्तमाल कथा में मुख्य रूप से विधायक नीरज बोरा, राधा स्नेह दरबार की अध्यक्ष बिंदू बोरा, भाजपा नेता नम्रता पाठक, राधा दरबार और श्याम परिवार के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श.चन्द्र

   

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