रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों से खराब हो रही मिट्टी की उर्वरता : डॉ. मुनीश कुमार

सीएसए में कलमबंद हड़ताल करते केवीके के कर्मचारी एवं वैज्ञानिक

कानपुर, 05 दिसम्बर (हि.स.)। आधुनिक समय में अधिक उत्पादन की ख्वाहिस से बिना मिट्टी की जांच रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। इससे मिट्टी की उर्वरता शक्ति कमजोर पड़ रही है। इसलिए मृदा संरक्षण पर विशेष बल देना चाहिये और जब स्वस्थ धरा होगी तो खेत भी हरा होगा। यह बातें गुरुवार को सीएसए में विश्व मृदा दिवस पर डॉ. मुनीश कुमार ने कही।

--विश्व मृदा दिवस के अवसर पर मिट्टी की उर्वरता पर हुई विशेष चर्चा

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में गुरुवार को विश्व मृदा दिवस का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन तथा मृदा संरक्षण एवं जल प्रबंधन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉक्टर मुनीश कुमार ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों के साथ-साथ आम जनमानस को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने बताया कि विश्व मृदा दिवस 2024 की थीम :मृदा की देखभाल, उपाय, निगरानी एवं प्रबंधन है'। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खराब हो रही है। इस अवसर पर उन्होंने मृदा संरक्षण पर विशेष बल दिया। उन्होंने छात्र-छात्राओं को एक नारा भी दिया कि स्वस्थ धरा, तो खेत हरा।

मृदा विज्ञान विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ अनिल सचान ने बताया कि किसान भाई अपने खेतों का मृदा परीक्षण अवश्य कराएं। जिससे मृदा में उपस्थित पोषक तत्वों की सही जानकारी मिल जाती है। मिट्टी परीक्षण द्वारा फसल के लिए उर्वरकों की उचित मात्रा की सिफारिश की जाती है। खादों के प्रयोग का समय तथा तरीके के बारे में पूर्ण जानकारी मिलती है। मिट्टी परीक्षण द्वारा क्षारीय और लवणीय भूमियों की समस्या और उनके सुधारने के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। उन्होंने छात्रों को जागरूक करते हुए कहा कि मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए केंचुए की खाद एवं नाडेप कम्पोस्ट तथा हरी खाद का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए। जिससे मृदा में जीवांश कार्बन की बढ़ोत्तरी हो। इस दौरान प्रोफेसर सर्वेश कुमार, प्रो. कौशल कुमार, डॉ. रजत मिश्रा, डॉ. विकास सिंह, डॉ. ताहिरा अर्जुमंद, डॉ. धर्मेंद्र शाह, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ. अदिति चौरसिया, डॉ. पूजा शर्मा व छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

--कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों ने की राष्ट्रव्यापी कलमबंद हड़ताल

आईसीएआर द्वारा कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों की वेतन एवं सेवा संबंधी विसंगतियों को लेकर चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के नियंत्रण अधीन समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों में गुरुवार को एक दिवसीय व्यापक हड़ताल एवं प्रदर्शन किया गया। ज्ञातव्य हो कि केंद्रों पर कार्यरत वैज्ञानिकों की सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष पर थी, जो नए आदेश के तहत 60 वर्ष कर दी गई। जबकि परिषद द्वारा अन्य भत्ते व पेंशन न देने का पत्र भी जारी कर दिया गया है। इस पर समस्त कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने पूर्व की भांति यूजीसी व्यवस्था के द्वारा शैक्षणिक लाभ प्रदान करवाने, सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष करवाने तथा पेंशन, ग्रेच्युटी अवकाश नगदीकरण, चिकित्सा भत्ता सहित अन्य भत्तों को पूर्व की भांति जारी रखने की मांग की है।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / अजय सिंह

   

सम्बंधित खबर