शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन को उमडा श्रद्धालुओं का रेला

- अबतक दो लाख से अधिक भक्तों ने किया दर्शन-पूजन

- मा विंध्यवासिनी के जयकारे से गुंजायमान हो उठा विंध्यधाम

मीरजापुर, 03 अक्टूबर (हि.स.)। आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी के धाम विंध्याचल में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार की भोर से ही श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। हर कोई मां की झझलक पाने को लालायित दिखा। अबतक दो लाख से अधिक दर्शनार्थियों ने विंध्यवासिनी के शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन किए।

मां विंध्यवासिनी के धाम में बुधवार की देर रात से ही भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। भोर की मंगला आरती के बाद घंटा-घड़ियाल के बीच विंध्यधाम मां विध्यवासिनी के जयकारे से गुंजायमान हो उठा। हाथ में नारियल, चुनरी, माला-फूल प्रसाद के साथ कतारबद्ध श्रद्धालु मां की भक्ति में लीन दिखे। इस अवसर पर मां विंध्यवासिनी का भव्य श्रृंगार किया गया था। मंदिर को फूलों व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था, जो अलौकिक छटा बिखेर रहा था। किसी ने झांकी तो किसी ने गर्भगृह से मां का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना की। विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन के बाद भक्तों ने मंदिर परिसर पर विराजमान समस्त देवी-देवताओं के चरणों में शीश झुकाया। इसके बाद भक्तों ने मां काली और मां अष्टभुजा का दर्शन कर त्रिकोण परिक्रमा पूर्ण की।

पूजन-अनुष्ठान के लिए भक्तों ने जमाया डेरा

नवरात्र के प्रथम दिन ही विंध्याचल के सभी होटल लगभग भर गए। नौ दिनों तक पूजन-अनुष्ठान करने वाले भक्त पहले ही डेरा जमा चुके हैं। मंदिर की छत पर पूजन-अनुष्ठान का दौर शुरू हो गया, जो नवमी तक चलेगा।

श्रद्धालुओं में दिखी विंध्य कारिडोर देखने को उत्सुकता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कारिडोर को जीवंत बनाने के लिए जिला प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक रखी है। ध्वस्तीकरण के बाद विध्यधाम पूर्ण रूप से संकरी गलियों से मुक्त हो गया है। इससे श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत होने लगी है।अब श्रद्धालु विंध्यवासिनी मंदिर से ही गंगा दर्शन भी कर रहे हैं। श्रद्धालु विंध्य कारिडोर देखने को काफी उत्सुक दिखे। कहा कि कारिडोर बनने से निश्चित तौर पर श्रद्धालुओं की आमद बढ़ेगी।

रोप-वे से आसान हुई श्रद्धालुओं की राह

पर्यटन विभाग ने 16 करोड़ की लागत से पीपीपी माडल पर विंध्य पर्वत पर रोप-वे का निर्माण कराया है। यह पूर्वाचल का पहला रोप-वे है। पहले मां अष्टभुजा व मां काली के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं को सीढ़ी चढ़कर जाना होता था, जो बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए खासा थकान भरा होता था। अब रोप-वे संचालन शुरू होने से श्रद्धालुओं की राह आसान हो गई है और काफी सहूलियत भी होने लगी है।

हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा

   

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