इविवि में केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, राजभाषा, गृह मंत्रालय, भारत सरकार का पांच दिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू
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- Mar 03, 2025
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-कार्यशालाओं से ही भाषाओं के नित्य नए प्रयोग प्रतिभागियों तक पहुंचाते हैं : लेखा सरीन -दो भाषाओं के सेतु का काम करता है अनुवाद : प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह
प्रयागराज, 03 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय एवं नराकास, प्रयागराज कार्यालय 2 के कार्मिकों हेतु इविवि के तिलक भवन में आज पांच दिवसीय संक्षिप्त अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया। 07 मार्च तक चलने वाली इस कार्यशाला में अनुवाद के व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक पक्ष की बारीकियां सिखाई जाएंगी। यह आयोजन केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, नई दिल्ली और राजभाषा अनुभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित है।
इस अवसर पर केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, गृह मंत्रालय, नई दिल्ली से विषय विशेषज्ञ जनवारियूस तिर्की एवं लेखा सरीन ने केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो की कार्य संस्कृति, कार्ययोजना और कार्यप्रणाली के बारे में तथा अनुवाद सम्बंधी चुनौतियों पर बात की।
लेखा सरीन ने कहा कि अनुवाद सिखाया नहीं जा सकता। अनुवाद सभी को जोड़ने का काम करता है। संसद से सड़क तक एक पुल का काम अनुवाद करता है। हर व्यक्ति के अंदर अनुवादक के गुण होते हैं। आवश्यकता होती है तो उसे निखारने की। इन पांच दिनों में हम अनुवाद तो नहीं सिखा सकते लेकिन ये विश्वास आपको दिलाते हैं कि आप भाषा की नई तकनीक, व्यवहार और नित नए भाषा सम्बंधी आविष्कारों से परिचित होंगे तथा इससे आपके कार्यालयीन कार्य में मदद मिलेगी। भाषाओं के क्षेत्र में में जो नित्य नए प्रयोग हो रहे हैं वह इन कार्यशालाओं के माध्यम से आप तक पहुंचते हैं। कार्यशालाएं नवाचार को प्रतिभागियों तक पहुंचाने का माध्यम है।
दिल्ली से आए अनुवाद विशेषज्ञ जनवारियूस तिर्की ने कहा कि कार्य व्यवहार में अनुवाद की भूमिका महत्वपूर्ण है। अनुवाद में भी संगीत होता है बस उसे महसूस करना आना चाहिए। ‘बरगद कला मंच’ के विद्यार्थियों इशिता, कार्तिकेय तिवारी और संजय मौर्य ने सरस्वती वंदना और भजन की प्रस्तुति दी। संचालन करते हुए हिन्दी अधिकारी प्रवीण श्रीवास्तव ने पांच दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत किया।
उल्लेखनीय है कि, इस कार्यशाला में प्रयागराज के केंद्रीय कार्यालय के राजभाषा कर्मी शामिल हो रहे हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इस तरह के अनुवाद की कार्यशाला करने वाला प्रथम विश्वविद्यालय है। कुलपति प्रो संगीता श्रीवास्तव के नेतृत्व में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का राजभाषा अनुभाग नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयोजक प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अनुवाद परिवेश, जीवन और संस्कृति को नज़दीक से जानने का अवसर उपलब्ध कराता है। कार्यालयी कार्य संस्कृति में अनुवाद की भूमिका बड़ी हो जाती है। प्रयागराज राजभाषा सम्बंधी संवैधानिक उपबंध में समूह ’क’ के अंतर्गत आता है, इसलिए यहां की कार्यालयी कार्य संस्कृति में हिंदी को पूरी तरह अपनाने पर जोर देना है। कहीं अंग्रेजी में कोई पत्र व्यवहार किया जाता है तो उसके साथ हिंदी अनुवाद भी लिखा जाय। स्रोत भाषा से लक्ष्य भाषा तक पहुंचना ही अनुवाद है।
कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि डॉ. सुनील निगम, चिकित्सा अधिकारी, राजकीय मुद्रणालय ने कहा कि हमारे यहां साढ़े पांच साल का एमबीबीएस होता। रूस में लगभग 6 या 7 साल का एमबीबीएस होता है। ये अतिरिक्त समय केवल भाषा सीखने के लिए होता है। ईसीसी कालेज के प्रो. विवेक निगम ने अनुवाद की व्यवहारिक जटिलताओं को कई उदाहरणों से समझाया तथा बताया कि अनुवाद एक कला है। उसे समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा हमारे समय में अनूदित किताबें नहीं मिलती थीं। अनुवाद के लिए विषय रुचि और मूल समझ होनी चाहिए। इविवि के संयुक्त कुलसचिव डॉ मेजर हर्ष कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए। इस अवसर पर नराकास कार्यालय के नोडल अधिकारी एवं एमएनआईटी के हिंदी अधिकारी प्रमोद कुमार द्विवेदी, डॉ भारती शुक्ला, नबी चौहान एवं प्रयागराज केंद्रीय कार्यालय के राजभाषा कर्मी उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र