३७० हटने के बाद सुखद अहसास है पांच वर्षों का लेखाजोखा

जम्मू। (संजय कुलश्रेष्ठ) : पांच वर्ष पूर्व आज ही के दिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष २०१९ में जम्मू-कश्मीर के हित में एक ऐसी पटकथा लिखी जिसने पूरे जम्मू-कश्मीर का नक्शा ही बदलकर रख दिया। कभी पत्थरबाजी के लिए मशहूर कश्मीर आज अपनी नक्काशी के लिए विश्व में छाप छोड़ रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ५ अगस्त २०१९ की जब केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को निरस्त कर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।  अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए थी । इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार था। देश के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे । कश्मीर में आरटीआई और सीएजी जैसे कानून लागू नहीं होते थे। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी। जम्मू-कश्मीर का अलग राष्ट्रध्वज था। जम्मू-कश्मीर के अंदर भारत के राष्ट्रध्वज का अपमान अपराध नहीं होता था। जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले लेती थी तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाती थी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान(पीओके) के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने क्षेत्रीय दलों के विरोध के बावजूद इस विवादास्पद धारा को हटाकर जम्मू-कश्मीर को शेष भारत के साथ मुख्य धारा से जोड़ दिया है।   अनुच्छेद 370 खत्म होने के ५ सालों में जम्मू-कश्मीर में काफी बड़े बदलाव आए हैं। अब नागरिक सचिवालय समेत सभी सरकारी कार्यालयो में सिर्फ भारतीय तिरंगा  फहराया जाता है एवं भारतीय संविधान पूरी तरह से स्थापित हो चुका है। अब पत्थर बाजी की घटनाएं इतिहास की बात बन चुकी है। अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद से जम्मू-कश्मीर में हिंसा की घटनाओं में उल्लेखनीय गिरावट आई है।  इसका श्रेय भारतीय सुरक्षा बलों के साथ-साथ सरकार की प्रतिबद्धता और स्थानीय लोगों के सहयोग को दिया जा सकता है। हालाँकि, पिछले दो वर्षों से चरमपंथी हमलों के ज़्यादा मामले कश्मीर के दक्षिण में स्थित जम्मू क्षेत्र में हुए हैं। सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कश्मीर में चरमपंथी गतिविधियाँ ज़रूर कम हुई हैं लेकिन जम्मू क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है, वो अच्छे संकेत नहीं हैं। 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में केंद्र के 890 से अधिक कानून लागू हो गये है। बाल विवाह कानून, जमीन सुधार से जुड़े कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून लागू नहीं थे लेकिन अब लागू कर दिए गए हैं। जम्मू कश्मीर में नए परिसीमन के बाद माता वैष्णो देवी समेत 90 विधानसभा सीट होगी। परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक 114 सदस्य विधानसभा में फिलहाल 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे बाकी सीट पाक के अवैध कब्जे वाले इलाके में है। नई विधानसभा के जम्मू क्षेत्र में 46 और कश्मीर घाटी संभाग में 47 सिट होगी।  लोकसभा की 5 सीटों में दो-दो सीट जम्मू और कश्मीर संभाग में होगी जबकि एक सीट दोनों  क्षेत्र में होगी यानी आधा इलाका जम्मू संभाग और बाकी आधा कश्मीर घाटी का हिस्सा होगा।  पहली बार जम्मू कश्मीर विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए सीट आरक्षित की गई है। एसटी के लिए 9 सीट आरक्षित की गई है जिसमें से 6 जम्मू क्षेत्र में और तीन सीट कश्मीर घाटी में आरक्षित की गई है । वहीं अनुसूचित जाति के लिए पहले से आरक्षित 7 सीटों को बरकरार रखा गया है। जम्मू कश्मीर से दोहरी नागरिकता को भी समाप्त कर दिया गया जहां पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था वहीं अब 5 साल कर दिया गया है। प्रदेश से विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया है । भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये कई पहलें लागू की हैं, जैसे प्रधानमंत्री विकास पैकेज  और औद्योगिक विकास योजना ।  इन पहलों से क्षेत्र में निवेश, रोजग़ार सृजन और आर्थिक विकास में वृद्धि हुई है।  केंद्रशासित प्रदेश के रूप में जम्मू-कश्मीर में कर राजस्व में 31 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।  पहले श्रीनगर से जम्मू जाने में 12 से 14 घंटे का वक्त लगता था लेकिन अब श्रीनगर से जम्मू तक 6 से 7 घंटे में पहुंचा जा सकता है। सरकार के मुताबिक हर दिन 20.6 किलोमीटर सड़क बन रही है जम्मू कश्मीर में सड़कों का जाल 4141 किलोमीटर लंबा है। यही नहीं जम्मू कश्मीर को जोडऩे के लिए चिनाब पर विश्व का सबसे ऊंचा पुल निर्माण किया जा चुका है और जल्द ही रेल कश्मीर घाटी जाने लग जाएगी। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू-कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या में व्यापक वृद्धि हुई है। जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2023 में 1.62 करोड़ पर्यटक आए, जो भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों में सर्वाधिक है।  एक रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से लगभग 30,000 युवाओं को नौकरियां दी गई है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने 29,295 रिक्तियां भरी है। केंद्र सरकार ने जम्मू- कश्मीर में कई योजनाएं भी शुरू की है। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जम्मू कश्मीर में 188 बाहरी निवेशकों ने जमीन ली है। वहीं, इसी साल मार्च में जम्मू कश्मीर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का पहला प्रोजेक्ट मिला है। यह प्रोजेक्ट 500 करोड़ रुपये का है। इस प्रोजेक्ट के पूरे होते ही कश्मीर में 10,000 नौकरियां मिल सकेंगी।  साल 2021, 2022 और 2023 में बड़ी तादाद में पर्यटक कश्मीर आए हैं। साथ ही कश्मीर के बागबानी सेक्टर में सब का कारोबार शामिल है। इन दोनों को मिलाकर करीब 20,000 करोड़ रुपये सालाना की आमदनी होती है। वहीं, इसी साल शुरू की गई अमरनाथ यात्रा में भी श्रद्धालुओं की संख्या में बीते सालों के मुकाबले रिकॉर्ड तोड़ इजाफा हुआ है। इस साल अमरनाथ यात्रा में 4 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से 27 जुलाई 24 को तीन दशकों के प्रतिबंध के बाद पैगम्बर मुहम्मद के पोते हजऱत इमाम हुसैन की जय-जयकार के बीच, सीना ठोककर और हजऱत इमाम हुसैन को याद करते हुए मुहर्रम का जुलूस निकाला गया। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को 34 साल बाद मुहर्रम के जुलूस को निकालने की आजादी मिली है।  अनुच्छेद 370 और 35ए की बेडिय़ों से आजादी के बाद जम्मू कश्मीर में आए सुखद बदलाव को स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है । अब शिक्षा का स्तर दिन पर दिन बेहतर होता जा रहा है, पर्यटन  फल फूल रहा है, नागरिक अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, प्रदेश भर में अच्छी सड़क एवं रेल व्यवस्था में प्रगति के साथ सुधार हो रहा है। पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी  को भारत की नागरिकता प्रदान कर दी गई है।

   

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