हिसार : मिट्टी की संरचना के सुधार में विशेष भूमिका निभाता है ढैंचा : प्रो. बीआर कम्बोज

हकृवि ने ढैंचा की डीएच-1 किस्म के लिए नामी कंपनियों से किया समझौता

हिसार, 2 अक्टूबर (हि.स.)। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

द्वारा विकसित किए गए उन्नत किस्मों के बीज देश भर में अपना परचम लहरा रहे हैं। विश्वविद्यालय

के उन्नत बीजों का देश में प्रचार-प्रसार करने के लिए विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी

कंपनी के साथ समझौते किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट

पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा की डीएच-1 किस्म

का महाकालेश्वर एग्री टेक प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद, तेलंगाना तथा चरखा सीड्स कुरनूल,

आंध्रप्रदेश के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने गुरुवार काे बताया कि ढैंचा हरी खाद के लिए

उगाया जाता है। यह एक दलहनी फसल है, जो मृदा की उर्वरता बढ़ाने में मदद करता है। ढैंचा

की खेती मुख्यत: खरीफ के मौसम में की जाती है और इसे हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया

जाता है जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है और उर्वरता में सुधार होता

है। ढैंचा मिट्टी की संरचना के सुधार में विशेष भूमिका निभाता है। विश्वविद्यालय द्वारा

किए जा रहे शोध कार्यों, उन्नत किस्मों के बीजों तथा नवीनतम तकनीकों को किसानों तक

पहुंचाने के लिए निजी क्षेत्र की कम्पनियों के साथ समझौते किए जा रहे हैं। इससे किसानों

एवं ग्रामीण युवाओं को अतिरिक्त रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं। यह समझौता किसानों

के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा तथा खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने में सहायक

सिद्ध होगा। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश कुमार,

बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेन्द्र मोर, आईपीआर सेल के प्रभारी

डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. राजेश आर्य व डॉ. जितेन्द्र भाटिया उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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