भैयादूज पर बाबा केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए होंगे बंद, हिमालय से ओंकारेश्वर मंदिर में विराजेंगे बाबा केदार

-स्नान के बाद मंदिर परिसर में विराजमान हुई बाबा की डोली

केदारनाथ, 02 नवंबर (हि.स.)। विश्व विख्यात और शि​व के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज पर्व यानी तीन नवम्बर (रविवार) प्रातः आठ बजकर तीस मिनट पर शीतकाल के ​लिए बंद कर दिए जाएंगे। हिमालय से ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार विराजेंगे, जिसके बाद बाबा केदार छह माह के लिए समाधि में लीन हो जाएंगे। आगामी छह माह की पूजा-अर्चना और भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होंगे। बदरी-केदार मंदिर समिति मंदिर (बीकेटीसी) ने कपाट बंद होने की पूरी तैयारियां कर ली हैं।

बाबा केदार की चांदी की पंचमुखी मूर्ति को शनिवार को भंडार से बाहर लाया गया और पंचमुखी उत्सव मूर्ति को पुजारी शिवशंकर लिंग ने स्नान कराया। मंदिर की परिक्रमा के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति डोली को मंदिर परिसर में विराजमान कर दिया गया। इसी डोली में बाबा केदार की भोग मूर्ति अपने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ आएंगी।

भैयादूज के पावन पर्व पर पौराणिक परंपराओं और विधि-विधान के तहत बाबा केदार के कपाट शीतकाल के छह माह के लिये बंद कर दिये जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद आगामी छह माह तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई आपदा के बावजूद भी इस बार केदारनाथ धाम की यात्रा ऐतिहासिक रही है। अब तक 16 लाख 20 हजार से अधिक भक्त बाबा केदार के दरबार में पहुंच गए हैं। इस बार मौसम खराब होने के बावजूद श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। बरसात के समय में भी हजारों की संख्या में भक्त केदारनाथ पहुंचे।

केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने कहा कि केदारनाथ धाम के कपाट हर वर्ष शीतकाल के लिए भैयादूज पर्व पर बंद किए जाते हैं, जिसके बाद डोली विभिन्न पड़ावों से होकर शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी और यहीं पर भगवान शंकर की छह माह शीतकालीन पूजा-अर्चनाएं संपन्न होंगी। उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद से पूर्व चाह पहर की पूजा की जाती है। भगवान विश्व को विभूति समाधि देकर छह माह के लिए कपाट बंद किए जाते हैं और पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दीस्थल के लिए प्रस्थान करती है। उन्होंने कहा कि जो भक्त किसी कारणवश केदारनाथ धाम नहीं पहुंच पाते हैं, वे ओंकारेश्वर मंदिर में आकर भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री अंकित सेमवाल एवं वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित उमेश पोस्ती ने कहा कि इस बार यात्रा में विकट परिस्थितियां देखने को मिली। 31 जुलाई को केदारनाथ पैदल मार्ग में आई आपदा के कारण जनहानि के साथ तीर्थ यात्रियों को दिक्कतें भी हुई लेकिन तेजी के साथ रेस्क्यू होने से तीर्थ यात्रियों को राहत भी मिली। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने में सरकार और प्रशासन सफल रहा है। जयपुर राजस्थान से आए अश्विमी शर्मा और मुजफ्फरनगर से आए संदीप कुमार जैन ने कहा कि केदारनाथ यात्रा मार्ग से लेकर धाम तक अच्छी व्यवस्थाएं मिली हैं। बाबा केदार के अच्छे से दर्शन हुए हैं। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन का आभार जताया।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने कहा कि केदारनाथ धाम के कपाट तीन अक्टूबर को भैयादूज के पावन अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो जायेंगे। कपाट बंद होने के बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति विभिन्न पड़ावों में प्रवास के बाद शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। साथ ही कहा कि आज भगवान केदारनाथ की पंचमुखी मूर्ति को भंडार से बाहर लाया गया और पंचमुखी उत्सव मूर्ति को पुजारी शिवशंकर लिंग ने स्नान कराया। धर्माधिकारी औंकार शुक्ला वेदपाठी स्वयंबर सेमवाल ने पूजा-अर्चना संपन्न की और श्रद्धालुओं ने पंचमुखी उत्सव मूर्ति के दर्शन किये। मंदिर की परिक्रमा के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति डोली को मंदिर परिसर में विराजमान कर दिया गया।

इस अवसर पर गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, देवानंद गैरोला, अरविंद शुक्ला, कुलदीप धर्म्वाण, ललित त्रिवेदी सहित सैकड़ों श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

   

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