सोलह संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार महत्वपूर्णः विश्वेश्वरानंद

हरिद्वार, 19 अगस्त (हि.स.)। श्री सूरतगिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम में सोमवार को श्रावणी उपाकर्म पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार कराकर ज्ञान दीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया।

श्रावणी पर्व पर श्री सूरतगिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम में श्रावणी पर्व आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरांनद गिरि महाराज के सानिध्य व आचार्य शिवपूजन के आर्चायत्व में मनाया गया। इस अवसर पर बटुकों का मुण्डन आदि संस्कार कर वैदिक रीति के अनुसार यज्ञोपवीत धारण कराया गया।

इस अवसर पर नव यज्ञोपवीत धारण करने वाले बटुकों को आशीर्वचन देत हुए महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरांनद गिरि महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में यज्ञोपवीत संस्कार सोलह संस्कारों में महत्वपूर्ण संस्कार है। ब्राह्मण कुल में पैदा होने के लिए यज्ञापवीत अनिवार्य है। बिना यज्ञोपवीत धारण किए ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति संभव नहीं है। बिना यज्ञोपवीत धारण किए मां गायत्री की आराधना नहीं की जा सकती और बिना गायत्री की उपासना किए न तो कल्याण संभव है और न ही ज्ञान की प्राप्ति।

उन्होंने नूतन यज्ञोपवीत धारण करने वाले ब्राह्मण बालकों ने यज्ञोपवीत के यम-नियम पूर्ण रूप से पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि ब्राह्मण के लिए शिखा, सूत्र धारण व ललाट पर तिलक करना उसके ब्रह्मणत्व की पहचान है। उन्होंने यज्ञोपवीत धारण करने वाले सभी बालकों को आशीर्वाद के साथ नियमानुसार भिक्षा भी दी। इस अवसर पर सैंकड़ों बालक, उनके परिजन, आश्रम के संत-महात्मा व विद्यार्थी मौजूद रहे। यज्ञोपवीत संस्कार की देखरेख कोठारी उमानंद गिरि महाराज ने की।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / वीरेन्द्र सिंह

   

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