कलयुग के अंत में होगा सृष्टि का विनाश : विज्ञानानंद

हरिद्वार, 20 अगस्त (हि.स.)। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि कलयुग का अंत मानवता के लिए बड़ा खतरा बनकर आ रहा है। इसमें पूरे विश्व की जनसंख्या एक चौथाई रह जाएगी। कलयुग के बाद पुनः सतयुग का शुभारंभ होगा जिसमें सदाचारी और स्वस्थ विचारधारा के व्यक्ति ही प्रवेश कर पाएंगे।

परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में मंगलवार काे श्रावणी के अवसर पर पधारे श्रद्धालुओं को सृष्टि के संचलन और मानवता के भविष्य की जानकारी साझा कर रहे थे। सनातन धर्म को पर्वों का गुलदस्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि धर्म से ही कर्म, व्यवहार और जीवन शैली की शिक्षा तथा मार्गदर्शन प्राप्त होता है। धर्म के सापेक्ष आचरण करने वाला सत्पुरूष ही सदाचारी एवं श्रेष्ठ विचारधारा के आधार पर प्रत्येक युग में शीर्ष पर रहा है। युग, समय और सत्ता सभी परिवर्तनशील होते हैं। सतयुग से कलयुग तक घटित घटनाओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सतयुग में देवताओं एवं दैत्यों की प्रतिद्वंता रही हो या त्रेता का रामायणकाल अथवा द्वापर का महाभारतकाल, विजय सदैव सत्य के मार्ग पर चलने वालों की ही हुई है। अहंकार, असत्य और दुराचरण करने वालों का अंत होता आया है और कलयुग में भी होगा।

गीता एवं वेदों के विभिन्न दृष्टांतों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी बातें अक्षरशः सही सिद्ध हुई हैं। कलयुग के अंत के साथ सृष्टि का विनाश होने वाला है। ऐसे हालात बनने प्रारंभ हो गए हैं। विश्व के अनेक देशों के राजनेताओं का अहंकार मानवता के संघर्ष का कारक बनकर मडराने लगा है। विश्व युद्ध और परमाणु बम के उपयोग की आशंका व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कलयुग कलह का युग है। इसके अंत समय में परस्पर प्रेम समाप्त हो जाएगा। प्रतिद्वंता बढ़ेगी, खानपान दूषित होगा। कोरोना जैसी घातक और जानलेवा बीमारियां बढ़ेंगी। जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव मानवता पर पड़ेगा। इससे दैवीय आपदाओं में वृद्धि होगी, जो मानवता के संहार का कारण बनेगी। खान-पान और रहन-सहन में हो रहे बदलाव के परिणामस्वरुप संयम की सीमाएं समाप्त हो जाएंगी। प्रतिशोध की भावनाएं इतनी बलवती हो जाएंगी कि एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / कमलेश्वर शरण

   

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