पतंजलि योगपीठ में 5 दिवसीय प्रबुद्धजन योग विज्ञान शिविर का आयोजन

हरिद्वार, 12 अगस्त (हि.स.)। योगऋषि स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के सान्निध्य में नेपाल राष्ट्र के बौद्धिक वर्ग के प्रबुद्धजनों के लिए पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में पांच दिवसीय ‘प्रबुद्धजन योग विज्ञान शिविर’ का आरंभ हुआ। नेपाल से आए प्रबुद्धजनों ने प्रातः स्वामी रामदेव के साथ यज्ञ व योग-सत्र का लाभ लिया।

तत्पश्चात पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का बौद्धिक सत्र प्रारंभ करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के द्वारा योग, आयुर्वेद, स्वदेशी, शिक्षा, चिकित्सा, चरित्र निर्माण, युग निर्माण व राष्ट्र निर्माण का जो कार्य चल रहा है, उसमें आप सब एकात्म हैं। उन्होंने कहा कि भारत व नेपाल दो राजनैतिक देश होते हुए भी हमारी सांस्कृतिक विरासत, हमारे पूर्वज, सिद्धांत व गंतव्य और हमारी एकरूपता हमें एक-दूसरे के निकट ले आती है। उन्होंने कहा कि संन्यासी तो वैश्विक नागरिक होता है, जैसे मैं भारत का हित चाहता हूँ वैसे ही नेपाल का हित व विकास चाहता हूं। उन्होंने कहा कि नेपाल आज परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें सामाजिक, धार्मिक तथा राजनैतिक परिवर्तन के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा, स्वावलम्बन आदि क्षेत्रों में बड़े बदलाव की आवश्कता है।

स्वामी रामदेव ने कहा कि कोई भी देश अपने बूते पर ही आगे बढ़ता है, आप देश व देशवासियों के मन में स्वावलम्बन, आत्मनिर्भरता, शौर्य, वीरता, पराक्रम का जज्बा जगाएंगे तो आने वाले 20-25 वर्षों में नेपाल विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बन सकता है। इसके लिए मन में कुछ बड़ा करने का संकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा स्वप्न है कि नेपाल में भी जल्द ही पतंजलि वेलनेस, गुरुकुलम, आचार्यकुलम, विश्वविद्यालय व्यवस्थित व आदर्श रूप में स्थापित किए जाएं।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि नेपाल और भारत हमारे लिए दो स्वतंत्र सम्प्रभु राष्ट्र हैं। राजनैतिक रूप से दोनों की अपनी-अपनी सीमाएं, मर्यादाएं व संविधान हैं परंतु सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप में हम अभिन्न और अटूट हैं। हमारे बीच रोटी-बेटी का सम्बंध सदियों से था, वर्तमान में है और सदियों तक रहेगा। हमारी मूल संस्कृति, संस्कृति की प्रकृति और वैदिक मूल्य व परम्पराएँ समान हैं। उन्होंने कहा कि यदि नेपाल का विकास करना है तो कोई कितना ही पड़ोसी देश हो, मित्र देश हो किन्तु पुरुषार्थ तो नेपाल के नागरिकों को ही करना होगा। भारत व नेपाल का सन्दर्भ में यह अकाट्य है कि भारत व नेपाल का सम्बंध अभिन्न व अटूट है। उन्होंने कहा कि नेपाल की चिंता, नेपाल के विकास की चिंता, नेपाल को समृद्धशाली बनाने की चिंता नेपाल वासियों का दायित्व है। राष्ट्रवाद की अवधारणा को अपने मन में धारण करके आपको नेपाल को विकास की राह पर लाना होगा।

सायंकालीन सत्र में नेपाल से आए प्रबुद्धजनों ने योग, प्राकृतिक चिकित्सा के विश्वस्तरीय संस्थान योगग्राम की चिकित्सकीय सेवाओं तथा पतंजलि ग्रामोद्योग में गौशाला, जैविक कृषि आदि गतिविधियों का अवलोकन किया।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / दधिबल यादव

   

सम्बंधित खबर