सम्राट हर्षवर्धन जैसे राजर्षि की विरासत को सम्मान देना समय की मांग: स्वामी विज्ञानानंद 

हरिद्वार, 8 जनवरी (हि.स.)। निरंजनी अखाड़ा के वरिष्ठ महा मंडलेश्वर तथा श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि प्रयागराज में आयोजित हो रहा कुंभ मेला ऐतिहासिक होगा और संतों के सानिध्य में संत मुख्यमंत्री के निर्देशन में आयोजित यह महापर्व विश्व पटल पर भारत की अलग पहचान का इतिहास रचेगा। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में प्रयागराज कुंभ के लिए प्रस्थान करने से पूर्व संतों, भक्तों एवं ट्रष्टियों को कुंभ स्नान पर्वों की विशेषताएं एवं पुण्य लाभ की जानकारी दे रहे थे।

शतायु संत ने कुंभ प्रस्थान से पूर्व गीता के पारायण एवं प्रमुख संदर्भों की व्याख्या करते हुए कहा कि गीता एवं वेद सनातन धर्म के आधार स्तंभ हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड सनातन धर्म और संस्कृति का अनुसरण कर रहा है और प्रयागराज का यह कुंभ पर्व संपूर्ण विश्व को शांति, सद्भाव एवं सहिष्णुता का संदेश देगा। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रयागराज कुंभ को भव्य और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाकर इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि योगी सरकार ने कुंभ मेले को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है और भारतीय संस्कृति की महत्ता को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है। हालांकि, उन्होंने सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा हटाने के कदम पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐतिहासिक महापुरुषों को सम्मान देना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है। सम्राट हर्षवर्धन भारतीय इतिहास के ऐसे महान सम्राट थे, जिन्होंने न केवल अपने साम्राज्य का कुशल संचालन किया, बल्कि कला, साहित्य और धर्म को भी संरक्षित और प्रोत्साहित किया। प्रयागराज कुंभ मेले की परंपरा को एक नई पहचान देने का श्रेय हर्षवर्धन को ही जाता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी भारत यात्रा में इसका उल्लेख किया है।

स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने कहा कि हर्षवर्धन का संरक्षण ही था, जिसने बाणभट्ट जैसे महान साहित्यकार को आश्रय दिया। ऐसे सम्राट के योगदान को याद रखना और उन्हें सम्मान देना हमारे दायित्व का हिस्सा होना चाहिए। लेकिन हर्षवर्धन जैसे महापुरुषों को भूलना उचित नहीं। वे केवल आधुनिक कुंभ के आरंभकर्ता ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता, उदारता और साहित्य को भी संरक्षण दिया। उनकी प्रतिमा का स्थान हर भारतीय के दिल में है। स्वामी जी ने सुझाव दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार, जो संस्कृति और परंपरा के संरक्षण के प्रति इतनी सजग है, को इस विषय पर पुनर्विचार करना चाहिए। सम्राट हर्षवर्धन की प्रतिमा को सम्मानपूर्वक पुनर्स्थापित करना उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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