महाराणा प्रताप न होते तो भारत की स्थिति कुछ और होती: डॉ. शिवकुमार चौहान

हरिद्वार, 9 मई (हि.स.)। यदि महाराणा प्रताप जैसे वीर भारत के इतिहास में न होते, तो भारत की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक पहचान आज कुछ और होती। यह उद्गार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिवकुमार चौहान ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती के अवसर पर व्यक्त किए।

यह कार्यक्रम अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, उत्तराखंड द्वारा आयोजित क्षत्रिय गौरव दिवस के तहत राजपूत धर्मशाला, हरिद्वार में सम्पन्न हुआ।

डॉ. चौहान ने कहा कि मेवाड़ के इस वीर सपूत के जीवन का सबसे बड़ा युद्ध 1576 में हल्दी की घाटी का युद्ध रहा, जिसमें अकबर जैसे आक्रान्ताओं ने महाराणा की वीरता एवं साहस के सामने घुटने टेक दिये।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रेम सिंह राणा ने कहा कि महाराणा का सम्पूर्ण जीवन नैतिक मूल्यों तथा आदर्शो से भरा है, जिसका अनुसरण करके जीवन में बहुत कुछ पाया जा सकता है। महेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि बल पराक्रम एवं साहस कर बेजोड़ उदाहरण महाराणा प्रताप को आज पूरा देश नमन कर रहा है। यह उनकी सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण है।

क्षत्रिय महासभा के जिलाध्यक्ष शेखर राणा ने कहा कि राजपूताने की आन-बान एवं शान महाराणा जैसे वीराें से ही है, इसलिए महाराणा को देश का वीर सपूत कहा जाता है। सुशील पुंडीर ने कहा कि चढ चेतक पर तलवार उठा, रखता था भूतल पानी को, राणा प्रताप सिर काट काट कर, करता था सफल जवानी को। राजपूत धर्मशाला में आयोजित व्याख्यानमाला मे यशपाल सिंह, मदनपाल सिंह, जेई सतपाल सिंह, डॉ. बिजेन्द्र सिंह चौहान, कृष्णपाल सिंह, प्रदीप पुंडीर, पार्षद नागेन्द्र सिंह राणा, रामगोपाल सिंह, कपिल सिंह, हृदयेश तोमर, रतन सिंह, शेखर राणा, सुमित चौहान, पराक्रम सिंह, यश पुंडीर, गौरव राणा आदि उपस्थित रहे। अन्त मे महाराणा के जय-जयकार से सभागार गुंज उठा।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

सम्बंधित खबर