गुप्तकाशी, 3 नवंबर (हि.स.)। बाबा केदारनाथ के आधार शिविर गौरीकुंड में स्थित गौरी माई मंदिर के कपाट पौराणिक परंपराओं के साथ ही बंद कर दिए गए हैं। आगामी छह माह शीतकाल की पूजा अब गौरी गांव में ही संपादित किए जाएंगे।
पौराणिक परंपराओं के अनुसार गौरीकुंड स्थित गौरी मां मंदिर में पुजारी विमल जनलोकी द्वारा वेद ऋचाओं से बाबा शिव शंकर पार्वती और गणेश के साथ अन्य भोग मूर्तियां का शुद्धिकरण किया गया, साथ ही इन्हें डोली पर सजाकर मुख्य मंदिर की तीन परिक्रमाएं पूर्ण की गई। तदुपरान्त सैकड़ों तीर्थ यात्री तथा श्रद्धालुओं के हुजूम के साथ गौरी मां की भोग मूर्तियों को निकट स्थित गौरी गांव के मंदिर में स्थापित की गई। पूजा अर्चन करके इन भोग मूर्तियों को मंदिर के अंदर गर्भ गृह में स्थापित की गई । आगामी छह माह के लिए अब गाैरी माई की पूजा अर्चना गौरी गांव में की जाएगी ।
स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार गौरीकुंड स्थित गौरी मंदिर में ही भगवान शंकर को वर रूप में प्राप्त करने के लिए मां गौरी ने कई वर्षों तक तपस्या की थी, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इसी स्थान पर मां गौरी को आशीर्वाद दिया था। इस दौरान बीकेटीसी के प्रबंधक कैलाश बगवाड़ी ने संपूर्णानंद गोस्वामी, व्यापार संघ अध्यक्ष रामचंद्र गोस्वामी समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / बिपिन