छठ पूजा 2024 : आज तीसरे दिन डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, पश्चिम बंगाल प्रशासन ने की खास तैयारी

कोलकाता, 07 नवंबर (हि.स.)। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है और आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के मुकाबले पश्चिम बंगाल में छठ पूजा पर कम उत्साह नहीं दिखता। इसकी वजह है कि राज्य का अधिकतर हिस्सा गंगा नदी के किनारे और अन्य छोटे बड़े नदियों और तालाबों से घिरा हुआ है। इन जल स्रोतों के किनारो पर लाखों लोग छठी मैया और सूर्य देव की पूजा के लिए उमड़ते हैं। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार ने खास तौर पर व्यवस्थाएं की है। सभी गंगा घाटों की साफ-सफाई की गई है। अतिरिक्त संख्या में पुलिसकर्मियों की तनाती की गई है ताकि कोई दुर्घटना ना हो और घाटों पर लगातार माइकिंग की व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हर साल कोलकाता के दई घाट पर छत व्रतियों के बीच जाती हैं। आज भी उनके जाने का कार्यक्रम है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व में संतान की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि की कामना के साथ व्रतधारी महिलाएं भगवान सूर्य की उपासना करती हैं। यह पर्व बंगाल में भी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है।

आज छठ पूजा का तीसरा दिन है, जिसे संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसे अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य कहा जाता है। कोलकाता, हावड़ा, हुगली तथा उत्तर और दक्षिण 24 परगना सहित बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में व्रती महिलाएं छठ घाटों पर एकत्रित होकर संध्या के समय सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इस दौरान व्रती महिलाएं पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना, नारियल सहित अन्य प्रसाद सामग्रियों से सूर्य देव की उपासना करेंगी और अपने परिवार की खुशहाली, समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना करेंगी।

आज सूर्यास्त का समय शाम पांच बजकर 31 मिनट पर है, इसी समय पर सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करेंगी। छठ पूजा के इस अवसर पर तालाबों और नदियों के किनारे बने छठ घाटों को सजाया गया है, जहां श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से पूजा करेंगे।

छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है। इस पर्व के दौरान बांस के डलिया, जिसे ‘डाला’ कहते हैं, का विशेष महत्व होता है। इस डलिया में छठ पूजा से जुड़ी सभी सामग्री रखी जाती है और इसे सिर पर रखकर छठ घाट तक ले जाया जाता है। बंगाल में छठ पूजा का यह त्यौहार लोगों को अपने परिवार से जोड़ता है, क्योंकि दूर-दूर से लोग आकर बंगाल में बसे हैं लेकिन अपने गांव की तरह ही छठ पूजा करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

सम्बंधित खबर