- भगवान सूर्य की महिमा का बखान कर रहे लोक मनोहारी गीत
- चना दाल के साथ कद्दू-भात खाकर निर्जला व्रत आरम्भ
मीरजापुर, 05 नवंबर (हि.स.)। सूर्योपासना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ मंगलवार से शुरू हो गया। चना दाल के साथ कद्दू-भात खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत आरम्भ हो गया है।
नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस महापर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। मान्यता के अनुसार इसकी शुरुआत द्वापर युग में माभ्ाारतकाल से पूर्व हुई थी।
पहले दिन मंगलवार को गंगा घाटों पर छठ पर्व का उत्साह देखने लायक था। व्रतियों के साथ छोटे बच्चे और युवा भी घाट पर मचलते दिखे। भगवान भास्कर को सबने अर्घ्य दिया और उन्हें प्रणाम किया। लोगों ने दीप जला गंगा में प्रवाहित किया। घाटों पर गूंजते लोक मनोहारी गीत भगवान सूर्य की महिमा का बखान कर रहे थे। भोर से ही नगर के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुट गई। सुबह होते-होते घाट पूरी तरह से गुलजार हो गए। घाटों पर तैयारियां हर साल की तरह ही की गई हैं।
चार दिवसीय छठ पर्व के पहले दिन भोर से ही गंगा किनारे आस्था का समंदर हिलोरे मारता दिखा। निर्जला व्रतधारी महिलाओं ने छठ मैया के गीत गाए और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। नगर के नारघाट, पक्काघाट, बाबा घाट बरियाघाट, कचहरी घाट, फतहा समेत अन्य गंगा घाटों पर सफाई और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पहले दिन व्रतियों ने पूजा के बाद चने की पूड़ी, लौकी की सब्जी व अक्षत चढ़ाया।
दूसरे दिन बुधवार को खरना होगा। इस दिन भूखे-प्यासे रहकर व्रती खीर का प्रसाद तैयार करेंगी। खीर गन्ने के रस की बनी होती है, इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता। शाम के समय इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद फिर निर्जल व्रत की शुरुआत होती है। तीसरे दिन गुरुवार को शाम के समय डूबते सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य दिया जाएगा। साथ ही विशेष प्रकार का पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढ़ाए जाएंगे। चौथे दिन शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद कच्चा दूध और प्रसाद खाकर व्रत का समापन किया जाएगा।
अपरंपार है छठ पूजा की महिमा
आचार्य डा. रामलाल त्रिपाठी बताते हैं कि छठ पूजा की महिमा अपरंपार है। छठी मइया भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। जगत को प्रकाशमान करने वाले भगवान भास्कर भक्तों की हर कामना पूरी करते हैं। छठ पूजा लोक आस्था के साथ श्रद्धा व शुद्धता का पर्व है। छठ पूजा काफी शुद्धता के साथ होती है। परिवार की कुशलता की कामना के साथ ही भक्त जो भी मांगता है, उसे नारायण की कृपा से प्राप्त होता है। छठ पूजा से संतान की प्राप्ति व पति के दीर्घायु होने की कामना पूरी होती है।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा