राजाजी पार्क : चीला-मोतीचूर वन्यजीव कॉरिडोर में खंडहर बन रहे बांधा
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- Dec 02, 2024
हरिद्वार, 2 दिसंबर (हि.स.)।राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में कई कॉरिडोर ऐसे है जो आज भी जीवंत है। इन कॉरिडोर से जंगली गजराज व अन्य वन्यजीव निर्बाध आवागमन कर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। पार्क के पश्चिमी क्षेत्र के मोतीचूर रेंज में मौजूद तीन में से दो तीनपानी कोरिडोर, मोतीचूर-सत्यनारायण-गोहरी कॉरिडोर सक्रिय भूमिका में है, लेकिन मोतीचूर-चीला कॉरिडोर के बीच बने कुछ खंडहर नुमा मकान बाधक बने हुए हैं। कुछ वर्ष पूर्व आबादी से घिरे मोतीचूर-चीला कॉरिडोर सीमा पर मौजूद खांड गॉव के कुछ परिवारो को विस्थापित किया गया था। विस्थापित किए गए लोगो के मकानों के खंडहर, वन्यजीवों के आवागमन में बाधा बने हुए हैं।
चीला-मोतीचूर कॉरिडोर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती व वन्यजीवो के नियमित गमन मार्ग के रूप में विख्यात है। प्रोजेक्ट एलिफैंट की सफलता में इन कॉरिडोर की प्रमुख भूमिका रही है। इन कॉरिडोर से से सभी ऋतुओं में गजराजो के झुण्ड पश्चिम व पूर्वी क्षेत्रों में आते जाते है। कुछ वर्ष पूर्व इस कॉरिडोर में आ रहे कुछ परिवारो को यहां से विस्थापित करने के साथ ही करोड़ो की लागत से हरिद्वार-देहरादून हाइवे पर फ्लाइओवर का निर्माण भी किया गया था। मगर कई वर्ष बीत जाने के बाद भी राजाजी टाइगर रिजर्व द्वारा विस्थापित किए गए लोगो के मकान डिस्पोज नहीं किए गए है। एक ओर जहां ये खंडहर कॉरिडोर में बाधा बन रहे है, वहीं असामाजिक तत्वों व शिकारियों द्वारा इनका दुरुपयोग किया जाता है।
इस संबंध में राजा जी टाइगर रिजर्व के निदेशक कोको रोजे का कहना है कि खांड गांव-3 को विस्थापित कर दिया गया था। वहां खाली पड़े मकानों के बारे मे दिखवाया जाएगा कि वह प्रॉपर्टी हैंडओवर हुई है या नहीं, उसी के बाद कारवाही की जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला