ग्वालियर: 13 को मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व, अग्नि में अर्पित होंगे तिल और गुड़

ग्वालियर, 10 जनवरी (हि.स.)। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि लोहड़ी पर्व का शुभ मुहूर्त शाम 5:34 से रात्रि 8:12 बजे तक रहेगा।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर संक्रांति की ही तरह लोहड़ी भी उत्तर भारत का प्रमुख पर्व है। खासकर पंजाब और हरियाणा में इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी के पर्व पर रात के समय खुली जगह पर आग जलाई जाती है और उस आग के चारों ओर परिक्रमा की जाती है। लोहड़ी के पावन पर्व पर नई फसल को काटा जाता है। कटी हुई फसल का भोग सबसे पहले अग्नि को लगाया जाता है। आग के चारों तरफ चक्कर लगाकर सभी लोग अपने सुखी जीवन की कामना करते हैं। लोहड़ी के दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं। नए विवाहित जोड़ों की यह पहली लोहड़ी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। रात्रि में मक्के की रोटी एवं सरसों के साग का भोजन किया जाता है।

लोहड़ी फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा एक खास पर्व माना जाता है। इस पर्व पर नई फसल की पूजा की जाती है। लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसल के तौर पर तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती हैं। इस दिन लोग अच्छी फसल के लिए सूर्य देव और अग्नि देव को आभार व्यक्त करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले साल भी फसल की पैदावार अच्छी हो।

लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है। मान्यता के अनुसार मुगल काल में अकबर के शासन के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में ही रहता है। कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की उस वक्त रक्षा की थी जब संदल बार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। वहीं एक दिन दुल्ला भट्टी ने इन्हीं अमीर सौदागरों से लड़कियों को छुड़वा कर उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई थी। तभी से दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया जाने लगा और हर साल हर लोहड़ी पर ये कहानी सुनाई जाने लगी।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद

   

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