मप्र में शुरू हो रहा जनजाति क्षेत्रों की 33 आयुर्वेदिक औषधियों पर दो दिवसीय मंथन

भोपाल, 23 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश की प्राचीन 33 आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग जल्द ही पूरे देश में होगा। डिंडौरी, शहडोल, मंडला और अनूपपुर जैसे आदिवासी जिलों में पाई जाने वाली इन औषधियों को आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया में शामिल करने के लिए कागजी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। मंगलवार से शासकीय पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज में शुरू हो रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (सेमिनार) में देश के जाने-माने विशेषज्ञ इन औषधियों के उपयोग की अनुमति दिये जाने पर विचार-विमर्श करेंगे।

पं. खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज के इस रिसर्च प्रोजेक्ट में 30 लोगों की टीम काम कर रही है। एक जिले में 6 फील्ड कॉर्डिनेटर ने तीन महीने फील्ड में सर्वे किया। इन्होंने क्षेत्रीय वैद्य और परिवारों से संपर्क कर 406 औषधियों को खोजा, जिनका उपयोग किया जाता है। इनके फोटो, वीडियो, औषधियां आदि एकत्रित की। इनमें से कुछ औषधियां समान थीं, इनको कम करके 348 औषधियां सामने आईं। दो सेमिनार भी आयोजित किए गए। इस दौरान 25 औषधियों की पहचान नहीं हो सकी। जबकि 33 औषधियां ऐसी मिली जो पहचानी तो गईं, लेकिन औषधीय उपयोगिता का कहीं उल्लेख नहीं मिला। इनको एक्स्ट्रा फार्माकोपियन ड्रग कहा गया। अब इन्हीं 33 औषधियों के चिकित्सकीय प्रयोग को लेकर विशेषज्ञ विचार-विमर्श करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/ केशव/मयंक

   

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