श्योपुर: भक्ति को जब ज्ञान का साथ मिलता है तभी जीवन पूर्ण बनता है: राघव ऋषि

-चौंडपुर गांव में श्रीमद् भागवत कथा का आठवां दिन

श्योपुर, 03 जनवरी (हि.स.)। शहर से सटे चौंडपुर गांव में ऋषि सेवा एवं पर्यावरण समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन प्रख्यात कथा वाचक पूज्य राघव ऋषि ने कहा कि मनुष्य योगी नहीं बन सकता तो उपयोगी अवश्य बनें। उन्होंने कहा कि भक्ति को जब ज्ञान का साथ मिलता है तभी जीवन पूर्ण बनता है।

राघव ऋषि ने कहा कि ज्ञान, भक्ति और वैराग्य तीनों का समन्वय होने से जीव का प्रभु से मिलन होता है। थोथा ज्ञान अभिमान को लाता है जबकि भक्ति नम्रता को लाती है। भक्ति ऐसी करो कि स्वयं भगवान तुम्हारा स्मरण करें। सत्संग और भक्ति दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता है। सत्संग करने वाला यदि परमात्मा का भजन नहीं करेगा तो उसका सत्संग निरर्थक ही रहेगा। चरित्र से यदि अपनी आत्मा को संतोष मिले तभी मानो कि तुम्हारा स्वभाव सुधरा है। कथा विश्राम अवसर पर समिति द्वारा राघव ऋषि सहित समस्त संगीतज्ञ एवं विद्वानों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, महावीर सिसोदिया, जगदीश गर्ग, सुरेशचंद त्यागी, कैलाश गुप्ता, रमेश नामा, आलोक चौहान, हेमवती नंदन अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, विनोद मीणा, कमल मीणा, मनोज राय, धनराज मीणा, दिलखुश मीणा, रोशनलाल मीणा, गोवर्धन सुमन, शिववीर परिहार, शिवशंकर कुलश्रेष्ठ सहित अनेक भक्तों ने कथा की भव्य विश्राम आरती की।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद/नेहा

   

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