जयंती पर जयशंकर प्रसाद को साहित्यकारों ने दी श्रद्धांजलि

अररिया फोटो:जयशंकर प्रसाद की श्रद्धांजलि कार्यक्रमअररिया फोटो:जयशंकर प्रसाद की श्रद्धांजलि कार्यक्रमअररिया फोटो:जयशंकर प्रसाद की श्रद्धांजलि कार्यक्रमअररिया फोटो:जयशंकर प्रसाद की श्रद्धांजलि कार्यक्रमअररिया फोटो:जयशंकर प्रसाद की श्रद्धांजलि कार्यक्रम

अररिया, 30 जनवरी(हि.स.)। फारबिसगंज पीडब्ल्यूडी के परिसर में मंगलवार इंद्रधनुष साहित्य परिषद की ओर से महाकवि, नाटककार, कथाकार जयशंकर प्रसाद की जयंती साहित्यकार हेमंत यादव की अध्यक्षता में मनाई गई। कार्यक्रम का संचालन विनोद कुमार तिवारी ने किया।उपस्थित साहित्यकारोंं ने सर्वप्रथम जयशंकर प्रसाद की तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

सभाध्यक्ष हेमंत यादव ने कहा क़ि जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी सन् 1889 को काशी में एक संपन्न साहू परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा काशी में ही हुई थी। वे हिंदी के चार प्रमुख छायावादी साहित्यकारो में एक थे। नारी के प्रति उनके मन में अगाध श्रद्धा थी। उनकी एक प्रसिद्ध उक्ति थी, नारी तुम श्रद्धा हो। उनका मानना था की श्रद्धा के बिना प्रेम नहीं हो सकता।

कार्यक्रम में मौजूद रघुनंदन मंडल तथा श्यामानंद साह ने जयशंकर प्रसाद के बारे में कहा कि जयशंकर प्रसाद ने अनेक काव्य ग्रन्थ, नाटक और कहानियां लिखीं।कामायनी उनकी प्रसिद्ध रचना है।उनकी रचनाएं पुरानी ब्रज भाषा में होती थी। बाद में उन्होंने हिंदी में लिखना शुरू किया। उनकी प्रमुख रचनाओं में छाया, आकाशदीप, कंकाल, तितली, चन्द्रगुप्त, स्कन्दगुप्त, कानन कुसुम, महाराणा का महत्व, झरना, आंसू, प्रेम पथिक, लहर आदि है। इस अवसर पर निशा पाठक, सुनील दास तथा मोहनलाल मेहता ने भक्ति कविताओं का पाठ किया तो हरिनंदन मेहता ने जय शंकर प्रसाद की एक मार्मिक कविता पढ़कर सुनाई

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/चंदा

   

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