छतरपुर: खजुराहो नृत्य समारोह, पश्चिम मंदिर समूह परिसर में 20 से होंगी नृत्य प्रस्तुतियां

छतरपुर, 10 फ़रवरी (हि.स.)। देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत के उत्सव का आगाज 20 फरवरी से खजुराहो नृत्य समारोह के रूप में होने जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो एक बार फिर शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुतियों से गुंजायमान होगी।

कलेक्टर छतरपुर संदीप जी.आर. ने खजुराहो नृत्य समारोह के संबंध में अधिकारियों को व्यवस्थाओं एवं तैयारियों के संबंध में निर्देशित किया है।

बुंदेलखण्ड की धरती पर देशभर से पधारने वाले प्रतिष्ठित लोक नर्तक अपनी घुंघरुओं की झंकार और कदमताल से छटा बिखरेंगे। खजुराहो नृत्य समारोह 1975 में शुरू हुआ और इस वर्ष यह अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है। इस उपलब्धि को खास एवं यादगार बनाने के लिये संस्कृति विभाग द्वारा कथक-कुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रथम दिवस 20 फरवरी 2024 को कथक नृत्य के 1500 से 2000 कलाकारों द्वारा सामूहिक नृत्य कथक-कुंभ प्रस्तुत कर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

संस्कृति विभाग द्वारा उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, भोपाल के माध्यम से खजुराहो में प्रतिवर्ष खजुराहो नृत्य समारोह का आयोजन मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग एवं पुरातत्व विभाग की सहभागिता से किया जाता है। पश्चिमी मंदिर समूह परिसर के अंदर चंदेलकालीन कंदारिया महादेव मंदिर तथा देवी जगदंबा मंदिर के मध्य विशाल मुक्ताकाशी मंच पर यह उत्सव 26 फरवरी तक आयोजित होगा।

महोत्सव के दौरान होंगी विभिन्न गतिविधियां

नेपथ्य - भारतीय नृत्य शैलियों का सांस्कृतिक परिदृश्य एवं कलायात्रा

प्रदर्शनी के अन्तर्गत शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्य रूपाकारों के परिधान, आभूषण, अलंकरण, साहित्य और संगीत वाद्यों के साथ-साथ चित्र शैलियाँ एवं पर्व-त्यौहार अर्थात् समग्रता में कला और संस्कृति को प्रदर्शित किया जाता है।

कलावार्ता- कलाकार और कलाविदों का संवाद

संस्कृति के विभिन्न अनुशासनों के कला-मर्मज्ञों एवं कलाकारों के बीच संस्कृति संवाद के साथ ही विभिन्न कलारूपों के प्रतिनिधि, प्रस्तुतिकार, कला समीक्षक, कला-मर्मज्ञ एवं विद्वतजन भारतीय कलाओं और उनमें निहित दर्शन पर श्रोताओं से गम्भीर विमर्श करते हैं।

हुनर-देशज ज्ञान एवं कला परम्परा का मेला

भारत में सौन्दर्यबोध समाज के सभी वर्गों की परम्परा के अनुरूप रूपाकारों/कलाकारों द्वारा निर्मित मिट्टी शिल्प, काष्ठ शिल्प, लौह शिल्प, बाँस शिल्प, कपड़ा बुनाई-रंगाई-छपाई आदि शिल्प परम्परा की निर्माण प्रक्रिया, तकनीक और डिजाइन उन्नयन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष खजुराहो में हुनर के नाम से शिल्प मेले का आयोजन करते हैं।

वर्तनी - ललित कलाओं का मेला

आर्ट-मार्ट कला प्रदर्शनी के अन्तर्गत ललित कलाओं जैसे मूर्ति शिल्प, चित्रांकन, छायाचित्र, छापा चित्र, काष्ठ शिल्प आदि के कलाकार अपनी कृतियाँ प्रदर्शित करते हैं। कलाकारों से दर्शक खुलकर कला से संबंधित विभिन्न आयामों पर चर्चा करने हेतु भी आमंत्रित रहते हैं।

समष्टि: टेराकोटा और सिरेमिक राष्ट्रीय प्रदर्शनी-कार्यशाला

देश भर के टेराकोटा एवं सिरेमिक माध्यम पर कार्य करने वाले कलाकार अपने भीतर उठने वाली रचनात्मक हिलोरों को साकार कर पाते हैं। भारत की संस्कृति में माटी शिल्प की पुरानी परंपरा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से समष्टि कार्यशाला का आयोजन किया जाता है।

लोकनृत्य की प्रस्तुतियाँ

नृत्य की अन्य गतिविधियों के रूप में दक्षित मध्य सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर द्वारा ''लोकनृत्यÓÓ की प्रस्तुतियों का आयोजन किया जायेगा।

वर्तनी: अन्तर्राष्ट्रीय छापा कला

अन्तर्राष्ट्रीय ''प्रिंट विनाले में भारत भवन, भोपाल द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ज्यूरी से पुरस्कृत 50 छापा चित्रों (प्रिंट) की प्रदर्शनी ''वर्तनी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रमुखत: निम्नलिखित देशों जापान, कोरिया, स्विटजरलैण्ड, फ्रांस, भारत, ईरान, नार्वे, स्वीडन, अमेरिका आदि के कलाकारों के चित्र सम्मिलित किये गये हैं।

लयशाला: श्रेष्ठ गुरूओं के साथ शिष्यों का संगम और कार्यशाला

देशभर की विभिन्न नृत्य शैलियों के गुरूओं तथा उनके शिष्यों का श्रेष्ठ गुरूओं एवं विभिन्न विधाओं के श्रेष्ठ कलाकारों का संवाद और उनकी विधाओं पर केन्द्रित कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा, जिससे रसिकजनों और कलाप्रेमियों को अत्यधिक लाभ मिलेगा और विद्यार्थी नृत्य शैली विभिन्न घरानों से परिचित होंगे और खजुराहो नृत्य समारोह के अन्तर्गत लयशाला कार्यक्रम में सहभागिता करते हुए अपने आप को गौरान्वित महसूस करेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/सौरभ भटनागर

   

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