यज्ञ चिकित्सा से भी होता है रोगों का नाश

प्रयागराज, 14 फरवरी (हि.स.)। आयुर्वेद में यज्ञ चिकित्सा का उल्लेख मिलता है। इसका मूल सिद्धांत यह है कि यह स्थूल के बजाय सूक्ष्म रूप से शरीर पर असर करती है। यह वातावरण को शुद्ध करती है और रोगों को ठीक करने में लाभ भी मिलता है।

यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर बसंत पंचमी पर आयोजित यज्ञ चिकित्सा कार्यक्रम में जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने कही। उन्होंने कहा यज्ञ चिकित्सा सनातन धर्म के आरम्भ से ही ऋषि मुनियों द्वारा की जाने वाली एक प्राचीन वैज्ञानिक प्रथा है। हमारे ऋषि मुनि हवा का सूक्ष्म परीक्षण कर यह जान लेते थे की हवा में कौन सा वायरस या विकार है, उससे कौन सा रोग फैल सकता है। उसी को ध्यान में रखकर वन-औषधियों का हवन कर हवा में फैले विषाणु-कीटाणु को नष्ट कर हवा के वातावरण को शुद्ध करते थे।

सतीश राय ने कहा कि वर्तमान में आधुनिक जीवन शैली के कारण आज के युग में हर कोई शारीरिक या मानसिक रूप से परेशान है। लोग इससे किसी भी तरह राहत पाना चाहते हैं। ऐसे में मंत्रो के उच्चारण से यज्ञ करने से जो ऊर्जा उत्पन्न होती है, वह व्यक्ति के चक्रों को शुद्ध कर मजबूत बनाती है। सकारात्मक ऊर्जा भरती है, प्रदूषित वायु को शुद्ध करती है। जिससे वहां पर रहने वाले सभी लोग रोग मुक्त हो जाते हैं।

यज्ञ चिकित्सा कार्यक्रम में दूर-दराज से आए सरोज, प्रियंका, अनामिका, रजनी वर्मा, राहुल, राकेश वर्मा और संजय मिश्रा आदि लोगों ने भाग लेकर लाभ उठाया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन

   

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