विभिन्न देशों के 40 भारतीय प्रवासी युवाओं ने देखी ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति यात्रा
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- Feb 19, 2024
- भारत को जानो कार्यक्रम के तहत सीएसआईआर-आईआईपी का किया दौरा
देहरादून, 19 फरवरी (हि.स.)। भारत सरकार के भारत को जानो कार्यक्रम (केआईपी) के एक अंश के रूप में विभिन्न देशों के भारतीय मूल के 40 प्रवासी युवाओं ने सोमवार को सीएसआईआर-आईआईपी का दौरा किया। वर्ष 2003-04 में प्रारंभ भारत को जानो कार्यक्रम भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की एक पहल है।
इसका उद्देश्य 21 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के प्रवासी भारतीय युवाओं को अपनी मातृभूमि के साथ जुड़ाव की भावना का अनुभव कराना, उन्हें भारत में हो रहे अभिनव परिवर्तनों से प्रेरित करना और उन्हें समकालीन भारतीय कला, विरासत, संस्कृति, अर्थव्यवस्था, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना है।
वर्तमान 74वें संस्करण में मॉरीशस, म्यांमार, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो, मलेशिया, सूरीनाम, फिजी और गुयाना से भारतीय मूल के वे प्रवासी युवा सम्मिलित हैं, जो दूसरी-तीसरी पीढ़ी के भारतीय हैं। उनमें से अधिकांश ने इस कार्यक्रम में भाग लेने से पहले भारत का दौरा नहीं किया है। इस यात्रा का उद्देश्य प्रतिभागियों को पेट्रोकेमिकल व रासायनिक उत्पादों के विकास और परिष्करण से संबद्ध प्रक्रम एवं नवीन प्रौद्योगिकियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करना था।
सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) देहरादून के निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंह बिष्ट ने औपचारिक रूप से प्रतिभागियों का स्वागत किया। संस्थान के जनादेश और विजन पर एक संक्षिप्त सिंहावलोकन प्रस्तुत किया। डॉ. सनत कुमार, प्रमुख, आरपीपीएम ने प्रतिभागियों को सीएसआईआर-आईआईपी के पूर्व और वर्तमान अनुसंधान कार्यों की जानकारी दी। संस्थान की सफलता के ऐतिहासिक लम्हों पर भी प्रकाश डाला।
इसके बाद प्रतिभागियों ने उन्नत गैस पृथक्करण प्रयोगशाला, घरेलू दहन प्रयोगशाला, बायो-जेट ईंधन पायलट प्लांट और अपशिष्ट प्लास्टिक से ईंधन निर्माण संयंत्र का दौरा किया तथा सम्बद्ध वैज्ञानिकों एवं तकनीकी अधिकारियों के साथ चर्चा की। सीएसआईआर-आईआईपी द्वारा किए जा रहे अनुसंधान एवं विकास कार्यों की जानकारी पाकर सभी प्रतिभागी अत्यंत अभिभूत और ऊर्जित हुए। इस यात्रा से प्रतिभागी आजादी के बाद से अब तक ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति यात्रा से परिचित हुए। कार्यक्रम का संचालन सीएसआईआर-आईआईपी की विज्ञान संचार और प्रसार टीम ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज