विधानसभा में नीलकंठ सिंह मुंडा ने उठाया नगर निकाय चुनाव न होने का मामला

खूंटी, 28 फ़रवरी (हि.स.)। खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने बुधवार को विधानसभा में नगर निकाय चुनाव कराने से संबंधित ध्यान आकर्षण प्रस्ताव आसन्न के समक्ष लाया। विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि अप्रैल 2023 में ही नगर निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। कार्यकाल समाप्त हो जाने की इतने दिनों के बाद भी चुनाव नहीं करना सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

चुनाव नहीं होने के कारण 15वें वित्त की राशि जिससे स्थानीय जनप्रतिनिधि विकास उन्मुखी कार्य के लिए अपने क्षेत्र के लिए योजना का चयन करते हैं, राशि प्राप्त नहीं हो रही है। इसके कारण विकास का कार्य कहीं ना कहीं अवरुद्ध हुआ। विधायक में संबंधित विभाग के मंत्री से जानना चाहा कि नगर निकाय का कार्यकाल पूरा हो गया है, तो समय पर इसका चुनाव क्यों नहीं कराया गया। जवाब देते हुए विभाग के मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के वाद संख्या डब्ल्यूपीसी 980/2019 किशन राव गवली वाद में यह आदेश पारित किया गया था कि ओबीसी को निर्वाचन प्राप्ति के लिए ट्रिपल टेस्ट किया जाए। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग आयोग को डेडीकेटेड कमिशन के रूप में अधिसूचित किया गया है। पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा रिपोर्ट प्राप्त होने पर नगरपालिका चुनाव अधिसूचित किया जाएगा।

न्यायालय और सदन दोनों को गुमराह कर ही है सरकार: नीलकंठ

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने पुनः मंत्री से पूछा कि सर्वोच्च न्यायालय का मामला आरक्षण से संबंधित है ना कि निर्वाचन नहीं करने से संबंध। मुझे इस बात की जानकारी चाहिए कि चुनाव अपने निश्चित कार्यकाल पर क्यों नहीं किया गया। विधायक नें कहा कि न्यायालय के समक्ष शपथ पत्र में भी छह महीने के दौरान नगर निकाय चुनाव कराने की बात वर्तमान सरकार ने की थी। इस तरह का जवाब देकर झारखंड सरकार न्यायालय एवं सदन दोनों को गुमराह करने का काम कर रही है। माननीय विधायक ने यह भी कहा की नगर निकाय क्षेत्र में चाहे वह नगरपालिका हो नगर पंचायत हो या नगर परिषद चुने ही जनप्रतिनिधियों द्वारा योजना का चयन विकास के लिए किया जाता है लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में योजना चयन से लेकर आवंटन तक नगर निकाय प्रशासक द्वारा किया जा रहा है जो कि स्थानीय प्रतिनिधियों के अधिकार का हनन है।

विधायक के प्रश्न का कोई जवाब विभाग के मंत्री के पास नहीं था। इस पर विधायक ने कहा कि जब चुनाव कराना था, तो पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन में सरकार ने कितनी देरी क्यों की। नीलकंठ सिंह मुंडा सरकार को सलाह दी कि पंचायत चुनाव से पूर्व जो व्यवस्था लागू की गई थी, उसी तरह की वैकल्पिक व्यवस्था लागू कर पूर्व में चुने हुए प्रतिनिधियों के उसके अधिकार वापस देने चाहिए, जब तक कि चुनाव ना हो।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल

   

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