गेहूं की फसलों पर ब्राउन लीफ रस्ट बीमारी के प्रकोप से किसान चिंतित,भरपाई की मांग

सहरसा-मक्का फसल

सहरसा,29 मार्च (हि.स.)।जिले के सभी प्रखंडों में बड़े पैमाने पर किसान बंधू गेंहू की खेती करते हैं,जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है।किसान बहुत मेहनत से दिन रात एक कर कठिन परिश्रम कर गेंहू की खेती बारी करते हैं लेकिन इस बार कोसी क्षेत्र में गेहूं की फसलों पर भूरा रतुआ रोग यानी ब्राउन लीफ रस्ट बिमारी का प्रकोप देखा जा रहा है। यह रोग गेहूं की फसल में लगने वाली सबसे घातक रोग है। इसका प्रकोप गेहूं की फसल के अंतिम समय में दिखाई देता है जब गेहूं की बाली दूध की अवस्था में होता है। रोग का अत्यधिक प्रभाव होने से उत्पादन काफी कम हो जाता है।

वर्तमान समय में प्रदेश के कोसी क्षेत्र में भूरा कीट रोग का दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। इलाके में गेहूं की फसलें प्राय: दुग्धावस्था में है। दुग्धावस्था में कीट का अत्यधिक प्रकोप होने से उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा। इस रोग का प्रकोप होने से सबसे पहले पत्तों पर छोटा छोटा पीला धब्बा बनता है। जो कि जल्द ही फैल जाता है। इन धब्बों के फटने से बीजाणु तेजी से अन्य पौधों एवं पत्तियों पर फैल जाता है। यह तेजी से पूरे क्षेत्र में फैल जाता है तथा महामारी का रूप ले लेता है। पत्तियों के ऊपर अंगुली से छूने पर पीला अथवा भूरा रंग लग जाता है। रोग का प्रकोप होने पर पहले निचली पत्तियों पर नारंगी या भूरे रंग के गोल फफोले बनता है जो कि पत्तियों के ऊपरी एवं निचली सतह पर दिखाई देता है। बीमारी का प्रकोप बढ़ने पर पौधों की ऊपरी पत्तियों तथा तनों पर इसका स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। जब काफी संख्या में धब्बे आपस में मिल जाते हैं तो पत्तियां द्वारा भोजन बनाने का काम बंद हो जाता है। जिससे दाना का वजन घट जाता है।

कृषि विज्ञान केंद्र अगुवानपुर के प्रधान डॉ नित्यानंद कहते हैं कि पूरे प्रदेश में गेहूं की फसलों में भूरा रतुआ रोग तेजी से फैल रहा है। कोसी क्षेत्र में भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है। भूरा रतुआ रोग से बचाव के संबंध में उन्होंने कहा कि बचाव के लिए किसान प्रभावित गेहूं की फसल में प्रोपिकोना जोल पांच सौ एमएल आधा लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।वही हेक्साकोना जोल एक हजार एमएल आधा लीटर पानी में मिलाकर या प्रोपिकोनाजोल प्लस डाईफेन कोनाजोल (संयोजन) पांच सौ एमएल आधा लीटर में या बेलेटान 500 एमएल पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव किया जा सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा

   

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