लोकसभा चुनाव : भाजपा की बी टीम का टैग छुड़ाने में छूट रहे पसीने

हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाजपा विरोधियों के सामने अजब मुश्किल

देहरादून, 31 मार्च (हि.स.)। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के विरोधियों को हरिद्वार सीट पर अजब परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ये परेशानी सिर्फ इसी लोकसभा सीट पर है, बाकी कहीं नहीं। दरअसल, हरिद्वार लोकसभा सीट पर चाहे कांग्रेस हो या फिर निर्दलीय उम्मीदवार खानपुर विधायक उमेश कुमार। उन्हें ये सफाई देनी पड़ रही है कि वे मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मकसद भाजपा को मदद पहुंचाना कतई नहीं है। जहां तक भाजपा का सवाल है, वह इस पूरी स्थिति का आनंद उठा रही है और अपने प्रचार को दिन-ब-दिन धार देती जा रही है।

पहले बात कांग्रेस की। कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत पहले खुद चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में थे, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने अपने बेटे विरेंद्र रावत को टिकट दिला दिया। हरीश रावत के हटने के पीछे की चाहे जो राजनीतिक वजहें रही हों, लेकिन चुनावी मौसम में उनके विरोधियों ने ये खबरें उड़ा दी हैं कि भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए हरीश रावत ने अपेक्षाकृत कमजोर उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है।

दरअसल, इसी सीट पर निर्दलीय बतौर चुनाव लड़ रहे खानपुर विधायक उमेश कुमार से उनकी अदावत जगजाहिर है। वर्ष 2016 में ये उमेश कुमार ही थे, जिन्होंने हरीश रावत का बहुचर्चित स्टिंग किया था। उमेश कुमार कांग्रेस के टिकट के लिए भी प्रयासरत थे, लेकिन हरीश रावत ने ऐसा होने नहीं दिया। अब माना जा रहा है कि अपने बेटे की लॉन्चिंग तो उन्होंने कर दी है, लेकिन वह यह भी चाहते हैं कि उमेश कुमार किसी सूरत में न जीतने पाए। इधर, उमेश कुमार के समर्थक इस बात को प्रचारित कर रहे हैं कि हरीश रावत के भाजपा उम्मीदवार त्रिवेंद्र सिंह रावत से मधुर संबंध हैं। इसलिए हरीश रावत इस चुनाव में त्रिवेंद्र सिंह रावत की मदद कर सकते हैं।

उमेश कुमार के समर्थक यदि सक्रिय हैं, तो हरीश रावत के समर्थक भी कहीं पीछे नहीं हैं। वे भाजपा के बडे़ नेताओं के साथ उमेश कुमार के मजबूत संबंधों को प्रचारित कर रहे हैं। हरीश रावत तो उमेश कुमार पर सीधा हमला बोलते हुए उनके लिए सुपारी किलर जैसे शब्दों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। हरीश रावत समर्थक ये प्रचारित कर रहे हैं कि उमेश कुमार की मंजिल किसी भी रूप में भाजपा ही है। देर-सबेर उन्हें भाजपा में ही जाना है। भाजपा की मदद के लिए ही वह चुनाव लड़ रहे हैं।

कुल मिलाकर कांग्रेस हो या फिर निर्दलीय उमेश कुमार अपने चुनाव प्रचार पर ध्यान देने के साथ ही साथ उन्हें ये साबित करने में भी पसीना बहाना पड़ रहा है कि वे भाजपा की बी टीम के रूप में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उमेश कुमार ने तो सोशल मीडिया पर अपनी उस तस्वीर को भी शेयर किया है, जिसमें वे व्हील चेयर पर पुलिस कस्टडी में हैं। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि त्रिवेंद्र सरकार के जमाने में उन्हें प्रताड़ित किया गया, तो वे ऐसी स्थिति में भाजपा को मदद कैसे पहुंचा सकते है। बहरहाल, भाजपा विरोधियों की इस अजब मुश्किल के बीच पार्टी उम्मीदवार त्रिवेंद्र सिंह रावत का पूरा फोकस सबसे पहले हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के उन इलाकों तक पहुंचने पर है, जहां अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। उनके नाम का ऐलान काफी पहले हो जाने का उन्हें ये फायदा जरूर मिला है कि वे अपने संसदीय क्षेत्र के एक बडे़ हिस्से तक पहुंच कर वोट की अपील कर चुके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/विपिन बनियाल/सत्यवान/वीरेन्द्र

   

सम्बंधित खबर