पूर्वजों द्वारा सिखाए गए ज्ञान अर्जित करने का तरीका खोना खतरनाक : किरण सेठ

बेगूसराय, 12 अप्रैल (हि.स.)। स्पिक मके के संस्थापक एवं आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर एमेरिटस पद्मश्री डॉ किरण सेठ कश्मीर से शुरू की गई अपनी साइकिल यात्रा के दौरान बेगूसराय के भारद्वाज गुरुकुल पहुंचे। 13 हजार किलोमीटर की यात्रा के दौरान उन्होंने इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर की जरूरत को बच्चों को समझाया।

भारद्वाज गुरुकुल पहुंचने पर उनका स्वागत शिक्षाविद शिव प्रकाश भारद्वाज के नेतृत्व में पांव पखार कर किया गया। बच्चों ने स्वनिर्मित वाद्य यंत्र का मॉडल भी उन्हें दिया। इस दौरान सभागार में आयोजित संवाद में उन्होंने कहा कि हमारे आसपास सिर्फ सात प्रतिशत वस्तुएं ही मूर्त हैं। 93 प्रतिशत अमूर्त को जानने के लिए उनका एहसास करने के लिए तीसरे नेत्र की जरूरत है। जिसे हम मन की शक्ति कहते हैं, यही स्पिक मके का लोगो भी है। भारतीय शास्त्रीय संगीत, कला एवं योग अमूर्त का ज्ञान हासिल करने का तरीका हमारे पूर्वजों ने सिखाया। लेकिन इसे हम तेजी से खोते जा रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम जग जाहिर है। कोविड से भी बड़ा पैंडेमिक अभी मानसिक रोग है। युवा नशा एवं आत्महत्या कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मूल्यवान मानव संपदा का बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। स्पिक मके का उद्देश्य सिर्फ कला का संरक्षण नहीं है, बच्चों एवं युवाओं के मानसिक क्षमता को बढ़ाना है। बच्चों का बंदर मन यहां वहां उछल कूद करता रहता है। एकाग्रता की घोर कमी है। धीरे धीरे यही बिखरा हुआ मन उसे खुद को समाप्त करने की ओर ले जाता है। उन्होंने विद्यालय परिवार एवं बच्चों को सलाह दिया की घंटी के जगह दिन के पहर के मुताबिक रिकॉर्डेड क्लासिकल म्यूजिक कुछ सेकंड के लिए ही बजा दें। दिन की शुरुआत क्लासिकल म्यूजिक पब्लिक एड्रेस सिस्टम पर बजाकर करें।

विभिन्न पहर में बजने वाले राग के नाम पर बच्चों का उपनाम रखें तथा उन्हें अटेंडेंस में सप्ताह में किसी एक दिन उसी नाम से बुलाएं। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत वाद्य यंत्र के नाम पर भवन या कोई भी सुविधा का नामकरण करें। इस तरीके से सभी बच्चों को इनकी जानकारी होगी। इइजी का उपयोग कर आईआईटी कानपुर में ब्रेन पर राग के असर का अध्ययन किया गया। भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी की रिकॉर्डेड प्रस्तुति सुबह में राग भैरव, दोपहर में राग मुल्तान एवं रात में राग भीम पलासी को सुनाने के बाद दिमाग पर बहुत गहरा अच्छा प्रभाव पड़ा। इसलिए सरकार ने हर संस्थान तक इसे फैलाना शुरू किया है। पूरे भारत में करीब 20 लाख संस्थाएं हैं, लेकिन स्पिक मके सिर्फ पांच हजार संस्थान तक ही पहुंच पाई है। उन्होंने लोगों से अपील किया है कि अगर सादा जीवन उच्च विचार के रास्ते पर वापस नहीं आयेंगे तो पृथ्वी पर मानव का बचना बहुत मुश्किल है।

कर्नाटक में जल की कमी के कारण एनआईटी. को तत्काल बंद कर दिया गया है, ऐसे ढ़ेर सारे उदाहरण हैं। इस दौरान प्रो सेठ ने एकाग्रता बढ़ाने का योग भी सबों को सिखाया। मौके पर सैकड़ों बच्चों समेत प्रो. एस.के. पांडेय, कुंदन कुमार, जवाहर लाल भारद्वाज, बृजबिहारी मिश्रा, धर्मेंद्र कुमार, अमिय कश्यप, राजा, सदानंद मिश्र, दामिनी मिश्र, रौशन कुमार, सुमित कुमार, रंजन कुमार, अनुपमा कुमारी, ऋषिकेश कुमार एवं पुरुषोत्तम कुमार भी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुरेंदर/गोविन्द

   

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