बैसाखी पर गुरुद्वारों में गूंजा शब्द-कीर्तन

जयपुर, 13 अप्रैल (हि.स.)। प्रदेशभर की गुरुद्वारा सिंह सभा में शनिवार को बैसाखी का पर्व मनाया गया। खुशहाली के लिए अरदास की गई। स्कूली बच्चों ने 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार पर प्रस्तुतियां दीं। गुरुद्वारा साहिब में गुरु का अटूट लंगर भी बरताया गया। लंगर की सेवा करने के लिए लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

सीकर में सेवादार परविंदर कौर ने बताया कि बैसाखी पर्व का सिख धर्म विशेष महत्व है। इसे सिख धर्म के लोग नववर्ष के रूप में भी हर साल मनाते हैं। बैसाख माह में रबी की फसल की कटाई शुरू होती है। किसान अच्छी फसल के लिए वाहेगुरु का आभार व्यक्त करते हुए बैसाखी मनाते हैं। हेड ग्रंथी गुलशन सिंह ने बताया कि बैसाखी के दिन सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने सन् 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। तभी से बैसाखी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह के आह्वान पर धर्म के रक्षा के लिए जो पंज प्यारों की साजना की थी। बैसाखी के दिन ही महाराजा रणजीत सिंह को सिख साम्राज्य का प्रभार सौंपा गया था, जिन्होंने एकीकृत राज्य की स्थापना की थी।

हेड ग्रंथी ने कहा कि बैसाखी का पर्व दुनिया भर में सिखों के बीच एकता, दोस्ती और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देने वाला भी है। इस अवसर पर अध्यक्ष सूरज तनेजा, उपाध्यक्ष सुरेंद्र त्रिहन, कोषाध्यक्ष दीपक अरोड़ा, महामंत्री किशन कुमार तनेजा, महेंद्र सिंह छाबड़ा, तिजेंद्र सिंह, सिमरन कौर, कशिश राजवानी, दलीप अरोड़ा कोमलदीप व भारत सेठी सहित अनेक सेवादार मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

   

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