कृषि क्षेत्र में रोजगार की अपार सम्भावनाएं, छात्र ले रहे हैं रूचि : डाॅ. राकेश चंद्र अग्रवाल

लखनऊ, 15 अप्रैल (हि.स.)। नेशनल बाेटेनिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट लखनऊ में दो दिवसीय ग्रीष्मकालीन पादप महोत्सव का उद्घाटन सोमवार को किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के कृषि शिक्षा विभाग के उप महानिदेशक डॉ. राकेश चन्द्र अग्रवाल ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि आज कृषि एक ऐसा क्षेत्र बन गया है, जिसमें रोजगार की अपार सम्भावनाएं उत्पन्न हो रही हैं और छात्र भी रूचि ले रहे हैं।

उन्होंने विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कृषि क्षेत्र को भी विकसित किये जाने पर बल दिया। कहा कि आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस, ड्रोन कृषि, जीनोमिक्स, ऊतक संवर्धन, लोजिस्टिक, मार्केटिंग आदि अनेकों क्षेत्र अब कृषि से जुड़ रहे हैं। जिनके कारण कृषि क्षेत्र में नए स्टार्ट अप बन रहे हैं और विभिन्न इनक्यूबेटर से सहायता प्राप्त कर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में अब इस क्षेत्र में भी रोजगार सृजन के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, जिनका फ़ायदा शोधार्थियों को उठाना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि प्रो. मनोज कुमार धर ने ए.सी.एस.आई.आर. के मिशन की चर्चा करते हुए बताया कि यह संस्था अपने आप में अभी भी शुरुआती दौर से गुजर रही है। लेकिन शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास से यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने को अग्रसर है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली (आईसीएमआर) की लगभग 28 नई प्रयोगशालाओं के जुड़ने से ए.सी.एस.आई.आर का दायरा अब देश भर की 82 प्रयोगशालाओं तक पहुंच चुका हैं। सात हज़ार से भी ज्यादा शोधार्थियों के पंजीकरण के आधार पर ए.सी.एस.आई.आर. अनुसन्धान कराने वाली देश की एक बड़ी संस्था बन चुकी है। इसके साथ भी इसकी पहचान तेजी से बढ़ने के कारण इसकी रैंकिंग में भी उल्लेखनीय सुधार आया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय की चुनौतियों को देखते हुए शोधार्थी अपना शोध तय करें एवं विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं।

संस्थान के निदेशक डॉ अजित कुमार शासनी ने आए अतिथियों, आगंतुकों एवं उपस्थित श्रोताओं का स्वागत करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा ही आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम सिर्फ उनके द्वारा अपने शोध को प्रदर्शित करने का नहीं, अपितु संस्थान की संस्कृति एवं जीवंतता दिखाने का भी अवसर प्रदान करता है। इस का आयोजन का मुख्य उद्देश्य शोधार्थियों की छुपी प्रतिभाओं को उजागर करना एवं प्रोत्साहित करना है। साथ ही उनके अंदर विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए हिम्मत एवं जोश उत्पन्न करना है।

इस महोत्सव में संस्थान में करीब 200 से ज्यादा शोधार्थी भाग ले रहे हैं। आज विभिन्न सत्रों में पादप विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोधार्थियों द्वारा 22 मौखिक व्याख्यान एवं 22 पोस्टर प्रस्तुति प्रस्तुत की गयी। अंत में डॉ. मेहर आसिफ, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/विद्याकांत

   

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