ग्वालियर: भगवान राम के भक्त महाबली हनुमान जी की जयंती मंगलवार को

- सजकर तैयार हुए हनुमान मंदिर, जगह-जगह होंगे भंडारे

ग्वालियर, 22 अप्रैल(हि.स.)। भगवान श्रीराम के परम भक्त और माता अंजनी के लाल महाबली हनुमान जी की जयंती मंगलवार, 23 अप्रैल को श्रद्धा भाव के साथ मनाई जाएगी। हनुमान जयंती को लेकर शहर के मंदिर सजकर तैयार हो गए हैं। मंदिरों के बाहर प्रसाद की दुकानें भी लग चुकी हैं। हनुमान प्रतिमाओं का भी अद्भुत श्रृंगार किया गया है। शहर के सभी हनुमान मंदिर आकर्षक विद्युत से जगमगा रहे हैं। हनुमान जयंती के अवसर पर मंगलवार को जगह-जगह भण्डारे भी आयोजित किए जाएंगे। मंदिरों पर अखण्ड रामायण और सुंदरकाण्ड के पाठ भी किए जा रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार हनुमान जयंती वज्र योग मंगलवार को होने से विशेष लाभकारी है। पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल मंगलवार को रात्रि 03:25 पर प्रारंभ होकर 24 अप्रैल को रात्रि बाद सुबह 05:18 बजे तक रहने से पूरे दिन रात मंगलवार को पूर्णिमा काल रहेगा। इस तिथि के समय मान वृद्धि से इस बार मंगलवार को हनुमान जयंती भक्तो के लिए शुभ और अच्छा फल देने बाली है क्योंकि इस बार की संवत्सर का राजा मंगल ग्रह है।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार जिन व्यक्तियों को शनि की साढ़ेसाती, पितृदोष कालसर्प दोष है और जिनकी पत्रिका मंगली है वो भी इस वृद्धा पूर्णिमा तिथि में हनुमान जयंती पर व्रत रख कर हनुमान जी का पूजन, सुंदरकांड, चालीसा आदि कर ध्यान करता हुआ व्रत करता है उसके सभी शनि साढ़ेसाती, पितृदोष, कालसर्प दोष, मंगल दोष पत्रिका के और कष्ट, ऊपरी वाधाओ से छुटकारा मिलता है।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य के अनुसार 23 अप्रैल मंगलवार को ब्रह्म मुहुर्त सुबह 04:20 बजे से 05:04 बजे तक फिर सुबह 09:03 बजे से 10:41 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में स्नान, ध्यान, पूजन करना विशेष लाभकारी रहेगा। अगला अभिजित मुहूर्त सुबह 11:53 से 12:46 बजे तक रहेगा।

पहाड़ चीरकर प्रकट हुए थे गरगज हनुमान जी: बहोड़ापुर में स्थित गरगज हनुमान मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की कहानी बेहद रोचक और रहस्यमई है। मंदिर के पुजारी अशोक शर्मा ने बताया कि उनका परिवार कई पीढिय़ों इस मंदिर की सेवा कर रहा है। उनके पूर्वज बताते थे कि कई वर्षों पहले एक बार बहुत तेज गर्जना हुई। इसके बाद पहाड़ को तेज गर्जना से चीरकर हनुमान जी प्रकट हुए, तभी से इन्हें गरगज के हनुमान जी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि अचानक हुई इस घटना ने सभी को अचंभित कर दिया, जिसके बाद जब ऊपर की ओर देखा गया तो पर्वत में आकृति नजर आई, जिसे देखने के लिए जब उनके पूर्वज ऊपर गए तो यह प्रतिमा देखने में हनुमान जी के स्वरूप की नजर आई। उन्होंने बताया कि यह मूर्ति बेहद चमत्कारी है। यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है।

300 वर्ष पुराना है मंशापूर्ण हनुमान मंदिर: पड़ाव पुल के नीचे स्थित मंशापूर्ण हनुमान मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना मंदिर है। इस मंदिर पिछले कई वर्षों से लगातार अखंड रामायण का पाठ हो रहा है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि हनुमान जी को अखंड रामायण सुनना पसंद है। इसलिए इस पाठ का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर में एक आंवले का पेड़ भी है। जब कोई मंशा लेकर मंशापूर्ण हनुमान मंदिर जाता है तो परिक्रमा करने के बाद लाल कपड़े में नारियल लपेटकर आंवले के पेड़ से बांधा जाता है। जब मनोकमना पूरी हो जाती है तो उस नारियल को खोल दिया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद/मुकेश

   

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