शक्ति से शक्ति की कामना का पर्व नवरात्र, ...तभी सार्थक होगा मां दुर्गा की आराधना

देहरादून, 09 अप्रैल (हि.स.)। शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र...। शक्ति के बिना शिव भी शव के समान हैं। इस शक्ति से समूचा ब्रह्मांड संचालित होता है। शक्ति की आराधना के यह नौ दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।

कहते हैं कि इन नौ दिनों में ब्रह्मांड की समूची शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं। इसी शक्ति से विश्व का सृजन हुआ, यही शक्ति दुष्टों का संहार करती है और इसी शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र। देवभूमि पर मंगलवार को चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो गई है, जो 17 अप्रैल तक रहेगी।

नवरात्र भर देवी मंदिरों एवं शक्तिपीठ के दर्शन का विशेष महत्व है। इन नौ दिनों में उपवास और जगराता कर मातारानी की आराधना की जाती है। इन नौ दिनों तक छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप माना जाता है। कन्याओं को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा दी जाती है और उनके पैर पूजे जाते हैं।

टपेश्वर मंदिर के आचार्य डॉ. विपिन जोशी का कहना है कि एक ओर तो हम कन्याओं को देवी मानते हैं और पैदा होने के बाद उन्हें ‘पराया धन’ या ‘बोझ’ की संज्ञा दे दी जाती है। नवरात्र पर्व में एक संदेश समाहित है, जिसकी समाज को सबसे अधिक आवश्यकता है। नवरात्र पर कन्याओं का पूजन किया जाता है और उन्हें देवी के समान सम्मान दिया जाता है। दरअसल, इस पर्व में लड़कियों और स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक दर्जा दिए जाने का संदेश छिपा है। समाज में व्याप्त इन दोहरे मापदंडों के लिए समाज की पिछड़ी मान्यताओं को या केवल पुरुषों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

स्वयं की शक्ति को पहचानें, अन्याय-अनीति के विरुद्ध लड़ने की लें सीख-

नवरात्र के पावन पर्व पर महिलाएं स्वयं की शक्ति को पहचानें और दुर्गा मां से अन्याय-अनीति के विरूद्ध लड़ने की सीख लें। जब दुर्गा की तरह हम अपने अस्तित्व को तेज तथा ओज से और मन को प्यार व ममता से भरने की कोशिश करेंगे, तभी मां दुर्गा की आराधना करना सार्थक होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज

   

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