लोस चुनाव : क्रांतिधरा झांसी में किसके माथे सजेगा जीत का सेहरा

लखनऊ, 15 मई (हि.स.)। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से देखें तो झांसी 1857 की क्रांति का एक प्रमुख स्थल रहा है। वीरांगना लक्ष्मीबाई के कारण इस शहर की पहचान पूरी दुनिया में है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की कर्मस्थली,राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त और उपन्यास सम्राट वृन्दावन लाल वर्मा जैसे साहित्यकारों की यह जन्मस्थली रही है। झांसी लोकसभा सीट बुंदेलखंड की एक महत्वपूर्ण लोकसभा सीट के रूप में अपनी पहचान रखती है। पिछले एक दशक से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है। उप्र की संसदीय सीट संख्या 46 झांसी में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होगा।

झांसी संसदीय सीट का इतिहास

झांसी-ललितपुर सीट से 1952 से 1971 तक लगातार कांग्रेस विजयी रही है। 1977 में भारतीय लोकदल इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही। अगले ही चुनाव में फिर से कांग्रेस का कब्जा हो गया। 1980 और 1984 में इस सीट पर कांग्रेस जीती। 1989 में भाजपा ने अपना खाता खोला। 1991 चुनाव में भाजपा इस सीट को बचाने में कामयाब रही लेकिन अगले चुनाव 1996 में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत दर्ज की। 1998 में भाजपा ने फिर वापसी की, लेकिन 1999 में कांग्रेस के हाथों उसे हार का मुंह देखना पड़ा। जहां 2004 में समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर विजय पताका फहराया, वहीं 2009 में कांग्रेस ने जीत हासिल की। 2014 और 2019 के चुनाव से यहां भाजपा का कब्जा चला आ रहा है।

झांसी में हुए 17 लोकसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस, 6 बार भाजपा, 1-1 बार भारतीय लोकदल और सपा ने अपना परचम लहराया है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का अब तक खाता नहीं खुला है। वर्तमान समय में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के अनुराग शर्मा सांसद हैं। भाजपा के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है।

पिछले दो चुनावों का हाल

17वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को 809,272 (58.59 प्रतिशत) मत, सपा उम्मीदवार श्याम सुन्दर सिंह यादव को 443,589 (32.12 प्रतिशत) मत, कांग्रेस के शिव शरण कुशवाहा को 86,139 (6.24 प्रतिशत) वोट हासिल हुए। भाजपा के अनुराग शर्मा ने 3 लाख 65 हजार 683 वोट के अंतर से बड़ी जीत हासिल की। बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा था क्योंकि सपा से गठबंधन में यह सीट सपा के खाते में चली गई थी।

बात 2014 के चुनाव की करें तो इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी उमा भारती ने सपा के चन्द्र पाल सिंह यादव को 1 लाख 90 हजार 467 मतों के अंतर से शिकस्त दी। उमा भारती के खाते में 575,889 (43.60 प्रतिशत) वोट आए। सपा प्रत्याशी को 385,422 (29.18 प्रतिशत) वोट मिले। इस चुनाव में बसपा और कांग्रेस क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने मौजूदा सांसद अनुराग शर्मा को मैदान में उतारा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन में ये सीट कांग्रेस के खाते में है। कांग्रेस से प्रदीप जैन ‘आदित्य’ और बसपा से रवि प्रकाश चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

झांसी सीट का जातीय समीकरण

झांसी संसदीय सीट में करीब 22 लाख वोटर हैं। झांसी लोकसभा सीट पर 91 फीसदी हिंदू और 8 फीसदी मु्स्लिम वोटर हैं। इस सीट पर 24.74 फीसदी वोटर अनुसूचित जाति के हैं। जबकि अनुसूचित जनजाति समुदाय के 2.48 फीसदी वोटर हैं। इस सीट पर यादव-ब्राह्मण समीकरण निर्णायक साबित होता है। इसके अलावा कुशवाहा, जैन, कोरी, साहू की संख्या भी ठीक-ठाक है।

विधानसभा सीटों का हाल

झांसी लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें झांसी जिले की बबीना, झांसी नगर और मऊरानीपुर (अ0जा0) विधानसभा सीट आती हैं। जबकि ललितपुर जिले की ललितपुर और मेहरोनी (अ0जा0) विधानसभा सीटें आती हैं। मऊरानीपुर सीट अपना दल सोनेलाल और शेष सीटें भाजपा के कब्जे में हैं।

जीत का गणित और चुनौतियां

झांसी लोकसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण खास मायने नहीं रखता है। 1984 के बाद यहां पर हुए 9 लोकसभा चुनाव में भाजपा का दबदबा दिखा है। भाजपा को 9 में से 6 बार जीत मिली है जबकि एक-एक बार सपा और कांग्रेस ने भी जीत का स्वाद चखा है। पिछले चुनाव में बसपा-सपा गइबंधन के बावजूद भाजपा ने ये सीट साढ़े तीन लाख से ज्यादा मार्जिन से जीती थी। भाजपा विकास कार्यों, राम मंदिर और सुशासन के सहारे मैदान में है। वहीं विपक्ष मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं की कमियां गिना रहा है। इस बार सपा-कांग्रेस का गठबंधन हैं और बसपा अकेले मैदान में है। भाजपा, इंडिया गठबंधन और बसपा के प्रमुख नेता यहां चुनाव प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं। झांसी में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार दिख रहे हैं।

राजनीतिक विशलेषक केपी त्रिपाठी के अनुसार, भाजपा का पलड़ा इस सीट पर फिलहाल भारी है। जीत किसकी होगी ये तो मतगणना के दिन पता चलेगा, लेकिन यहां मुकाबला दिलचस्प होगा।

झांसी से कौन कब बना सांसद

1952 रघुनाथ विनायक धुलेकर (कांग्रेस)

1957 सुशीला नैय्यर कांग्रेस)

1962 सुशीला नैय्यर (कांग्रेस)

1967 सुशीला नैय्यर (कांग्रेस)

1971 गोविन्द दास रिछारिया (कांग्रेस)

1977 सुशीला नैय्यर (भारतीय लोकदल)

1980 विश्वनाथ शर्मा (कांग्रेस आई)

1984 सुजान सिंह बुंदेला (कांग्रेस)

1989 राजेन्द्र अग्निहोत्री (भाजपा)

1991 राजेन्द्र अग्निहोत्री (भाजपा)

1996 राजेन्द्र अग्निहोत्री (भाजपा)

1998 राजेन्द्र अग्निहोत्री (भाजपा)

1999 सुजान सिंह बुंदेला (कांग्रेस)

2004 चन्द्रपाल सिंह यादव (सपा)

2009 प्रदीप कुमार जैन आदित्य (कांग्रेस)

2014 उमा भारती (भाजपा)

2019 अनुराग शर्मा (भाजपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ.आशीष वशिष्ठ/राजेश

   

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