बीजापुर : तहसीलदार ने वनभूमि पट्टा देने ग्रामीणों से लिए रुपये, फिर भी नहीं दिया पट्टा : विक्रम मंडावी

बीजापुर, 1 जून (हि.स.)। विधायक विक्रम मंडावी ने तहसीलदार कुटरू पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिले के आकलंका के ग्रामीणों को वनभूमि का पट्टा देने के लिए तहसीलदार कुटरू द्वारा 12 सौ रुपये प्रत्येक ग्रामीण से लेने तथा पैसे लेने के बावजूद ग्रामीणों को तहसीलदार द्वारा पट्टा अब तक नहीं दिया गया। बीजापुर विधायक ने कहा है कि तहसीलदार कुटरु के खिलाफ जांच और कार्रवाई नहीं होने की स्थिति में ग्रामीणों को न्याय मिलने तक कांग्रेस पार्टी ग्रामीणों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेगी। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। इस पूरे मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर कांग्रेस नेताओं ने ग्रामीणों संग कलेक्टर बीजापुर को ज्ञापन सौंपा है।

विधायक मंडावी ने आज शनिवार को प्रेस वार्ता में कहा कि ग्राम आकलंका के ग्रामीणों से शिकायत मिली है कि कुटरू तहसीलदार विरेंद्र श्रीवास्तव ने वन भूमि पट्टा देने के नाम पर प्रत्येक ग्रामीणों से 1200-1200 (एक हजार दो सौ रुपये) लिया है। ग्रामीणों के अनुसार कुटरू तहसील के अन्तर्गत आने वाले ग्राम पंचायत अल्बेली के आश्रित ग्राम आकलंका के कुल 80 ग्रामीणो को वन भूमि पट्टा देने के नाम पर कुल 96 हजार रुपये की वसूली कुटरू तहसीलदार विरेंद्र श्रीवास्तव ने किया है।

ग्रामीण जब भी तहसीलदर से वनभूमि पट्टा देने की मांग करने तहसील कार्यालय कुटरू जाते है तो तहसीलदार ग्रामीणों को डरा-धमका कर वापस भेज देते है। तहसीलदार के इस कृत्य से ग्रामीण आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान है। तहसीलदार ने कुटरू के आकलंका गांव के आदिवासियों से वनभूमि पट्टा देने के नाम पर 1200-1200 रुपये लेकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है। विधायक विक्रम मंडावी ने प्रेस वार्ता में आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने पांच माह हो रहे है तब से प्रदेश में लगातार आदिवासियों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है।

कुटरू जैसे आदिवासी क्षेत्र में तहसीलदार विरेंद्र श्रीवास्तव का यह कृत्य निश्चित ही गंभीर है। ग्राम आकलंका के ग्रामीणों से कुटरू तहसीलदार का वन भूमि पट्टा देने के नाम पर 12 सौ रुपये प्रत्येक व्यक्ति से लेना बेहद गंभीर और संवेदनशील विषय है यह भ्रष्टाचार है। उन्होंने कहा कि तहसीलदार द्वारा ग्रामीणों से वनभूमि पट्टे के लिए रुपये लिये जाने के आरोप की निष्पक्ष जांच हो और ग्रामीणों के वनभूमि पट्टा और उनके रुपये वापस लौटाया जाए और दोषी पाये जाने पर तहसीलदार कुटरू के खिलाफ प्रशासन सख़्त कार्रवाई करे।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

   

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