साहिब बंदगी के सद्गुरु ने अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से भक्तों को निहाल किया

जम्मू, 22 जून (हि.स.)। साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने शनिवार को कबीर जंयती के अवसर पर राँजड़ी में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि कबीर का गाया गाने वाला तीन लोक में मार खाता है और कबीर का गाया बूझने वाला अंतरगत को जान जाता है।

शरीर रूपी चादर को साहिब ने ज्यों का त्यों रख दिया। विषय विकारों में मैला नहीं किया। बाकी सबने अनेक जन्म लिए। जैसे आप कपड़े बदलते हैं, पर आप तो नहीं बदले न। इस तरह आत्मा ने नाना शरीर धारण किए, पर आप तो नहीं बदले न। कहीं न कहीं सबने मैला किया। पर जब अवसर मिला तो निर्मल की। कबीर साहिब ने कभी भी इसमें दाग नहीं लगने दिया। जबसे सृष्टि बनी है, आत्मा इस संसार में भटक रही है। धरती को बने करोड़ों साल हो गये। 84 लाख योनियों में घूमकर फिर इंसान बन रहे हो। आप एक हजार बार इंसान बन चुके हो। कबीर साहिब वो शख्सियत थे जो माँ के पेट से जन्म लेकर नहीं आए। उनकी कई वाणियों में आता है कि मैं अमर लोक से जीवों के कल्याण के लिए आया हूँ।

साहिब हर युग में आए। साहिब ने केवल 42 लोगों को ही अमर लोक पहुँचाया। आगे उन्होंने कइयों को अमर लोक पहुँचाया। जो वहाँ पहुँचा, अमर लोक में ही रह जाता है। वहाँ पर आटोमेटिक ऐसा होता है कि परम पुरुष चाहिए या गुरु। सत्यपुरुष का आकर्षण इतना है कि आत्मा उसी की तरफ जाती है। वो वहीं रह जाता है। पार हो गया। लक्ष्य पूरा हो गया। पर जो परम गुरुमुख है, वो गुरु को माँगता है। परम पुरुष उसे अपने में समा लेता है। वो फिर संत बनकर धरती पर जीवों के कल्याण के लिए वापिस आता है। वो है सद्गुरु। वो कोई बिरला होता है। जो वहाँ नहीं पहुँचा और गुरु का काम कर रह है तो समझो कि धोखा कर रहा है। वो जीवों का कल्याण नहीं कर सकता है। जो वहाँ पहुँचा, उसके पास पारस सुरति हो जाती है। उसी के पास सत्य पुरुष का सार नाम होता है और उसी के द्वारा प्राप्त नाम से जीवात्मा अमर लोक में जा सकती है। नाम की ताकत जीवात्मा को अमर लोक ले जाती है। पर संसार में करोड़ों नाम हैं, उससे मुक्ति नहीं हो सकती है। सार नाम वाले भी नकल करके बहुत हो गये हैं। पर जो वहाँ पहुँचा केवल उसी के पास सच्चा नाम है। यह बहुत बड़ा रहस्य है।

हिन्दुस्थान समाचार/राहुल/बलवान

   

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