प्रकृति एवं संस्कृति के साथ जीते हैं सिक्किम के लोग : लक्ष्मण आचार्य

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-सिक्किम राजभवन में त्रिदिवसीय शिवमंदिर पुनर्नवीकरण एवं सुंदरीकरण का समापन

-काशी के विद्वानों ने दिया व्याख्यान, राज्यपाल ने किया सम्मानित

वाराणसी, 15 जुलाई (हि.स.)। राजभवन सिक्किम में आयोजित तीन दिवसीय शिवमंदिर पुनर्नवीकरण एवं सुंदरीकरण अनुष्ठान और 'संस्कृत भाषा का विकास' विषयक व्याख्यान का समापन सोमवार को हुआ। समापन समारोह में राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि सिक्किम के लोग प्रकृति एवं संस्कृति के साथ जीते हैं। उन्होंने संस्कृत भाषा को सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए संस्कृत भाषा के विकास एवं संवर्धन के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया। इस दिशा में राज्य सरकार के किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि जब भारत पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित होगा ,सिक्किम इसका नेतृत्व करेगा। सिक्किम में नारियों का सम्मान, अपराध न के बराबर, पर्यावरण के प्रति राज्य की सक्रियता पर खुशी जताई।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पाण्डेय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, धर्म शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, वेद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. पतंजलि मिश्र, व्याकरण विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष भगवती शरण शुक्ल ने युवाओं को संस्कृत साहित्य से जोड़ने के उपाय सुझाए।

समापन कार्यक्रम में बनारस एवं सिक्किम चार धाम मंदिर आए अतिथियों को राज्यपाल ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में सिक्किम विधानसभा अध्यक्ष एमएन शेरपा, शिक्षा मंत्री राजू बस्नेत, धर्म एवं सिंचाई विभाग मंत्री सोनम लामा, गंगटोक क्षेत्र विधायक डिले नामग्याल बर्फूंगपा, बनारस के विद्यान, सामदोंग संस्कृत महाविद्यालय, कंचनजंगा राज्य विश्वविद्यालय चिनारी संस्था, नाम्ची चार धाम समिति, शिक्षा विभाग के अधिकारी, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के डॉ मणि कुमार झा, अनुपम दीक्षित, डॉ उत्तम ओझा आदि की उपस्थिति रही।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / आकाश कुमार राय

   

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