सभ्य समाज की पहचान, मानवाधिकारों को आत्मसात करना अनिवार्य : डॉ. प्रकाश लखेड़ा
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- Dec 10, 2024
- मानवाधिकार दिवस पर स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय में व्याख्यान का आयोजन
चम्पावत, 10 दिसंबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मानवाधिकार और राज्य विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राजनीति विज्ञान परिषद और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ. अपराजिता ने मानवाधिकार दिवस के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की वैश्विक घोषणा ने प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रकाश लखेड़ा ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मानवाधिकारों की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि वेदों में मानव मूल्यों की परिकल्पना ‘असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय।' के रूप में की गई है। उन्होंने आधुनिक युग में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकारों को कानूनी और संवैधानिक स्वरूप प्रदान करने के महत्व को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि और कार्यक्रम के सहसंयोजक राजीव मुरारी ने मानवाधिकारों की रक्षा में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह प्राधिकरण देश के हर राज्य और जिले में शोषितों को न्याय दिलाने का कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. रुचिर जोशी ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण के योगदान को सराहा और सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न प्राध्यापक, छात्र-छात्राएं और अतिथि गण मौजूद रहे। उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में डॉ. बृजेश ओली, डॉ. दिनेश व्यास, डॉ. रवि सनवाल, डॉ. सीमा नेगी, भावना खर्कवाल और दर्जनों छात्र-छात्राएं शामिल थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव मुरारी