चंडीगढ़ कोर्ट बोला – ‘गरीबी सज़ा का कारण नहीं:श्योरिटी जमा न करने पर जेल में रहा आरोपी, पर्सनल बॉन्ड पर रिहाई के आदेश

चंडीगढ़ में आरोपी संजय उर्फ सनी उर्फ जहरबाज़ को राहत देते हुए जिला अदालत ने 03 सितंबर 2025 के अपने पुराने जमानत आदेश में संशोधन किया है। आरोपी को जमानत तो मिल चुकी थी, लेकिन गरीबी के चलते वह श्योरिटी बॉन्ड जमा नहीं कर पा रहा था, जिससे वह तीन महीने से अधिक समय से जेल में ही बंद था। अदालत ने माना कि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति उसकी स्वतंत्रता में बाधा नहीं बन सकती। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि आरोपी को 10,000 रुपए के पर्सनल बॉन्ड पर ही रिहा किया जाए और यह बॉन्ड जेल परिसर में ही जमा कराया जाए। मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर 2025 को होगी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केस की जांच खत्म हो चुकी है और आरोपी को 03 सितंबर को ही जमानत मिल गई थी। लेकिन उसके पास पैसे न होने की वजह से वह श्योरिटी नहीं दे पाया। कोर्ट ने साफ कहा कि किसी को सिर्फ इसलिए जेल में रखना ठीक नहीं है क्योंकि वह गरीब है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ‘आरोपी की गरीबी उसे अनिश्चितकाल तक जेल में रखने का आधार नहीं बन सकती।’ इसलिए अदालत ने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि आरोपी को 10 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर ही रिहा कर दिया जाए। कोर्ट के सामने रखी मजबूरी अदालत में आरोपी के वकील ने बताया कि संजय बेहद गरीब परिवार से है और उसके पास न पैसा है और न ही ऐसा कोई परिचित जो श्योरिटी बन सके। तीन महीने बीत गए, लेकिन वह जमानत आदेश का लाभ नहीं उठा पाया। वकील ने दलील दी कि केवल आर्थिक अभाव के कारण किसी व्यक्ति को जेल में रखना न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। आरोपी ने कोर्ट से गुहार लगाई कि उसकी जमानत शर्तें आसान की जाएं ताकि वह जेल से बाहर आ सके। जेल सुपरिंटेंडेंट को निर्देश अदालत ने जेल प्रशासन को आदेश दिया है कि पर्सनल बॉन्ड की पूरी प्रक्रिया जेल के अंदर ही पूरी की जाए और आरोपी को तुरंत रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि केस का ट्रायल अभी लंबा चलेगा, इसलिए आरोपी को और ज्यादा समय तक जेल में रखना ठीक नहीं है।

   

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