कोलकाता, 05 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआ) प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) की नियुक्ति में विपक्षी दल भाजपा और माकपा, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से काफी आगे निकल गए हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार शाम पांच बजे तक भाजपा द्वारा नियुक्त बीएलए की संख्या 24 हजार 858 और माकपा की 18 हजार 706 दर्ज की गई। इसके उलट तृणमूल कांग्रेस उस अवधि तक मात्र 13, हजार 526 बीएलए ही नियुक्त कर पाई। कांग्रेस पांच हजार 797 बीएलए के साथ चौथे स्थान पर है।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों द्वारा अब तक कुल 63 हजार 940 से अधिक बीएलए नियुक्त किए गए हैं। इनमें बीएलए–एक और बीएलए–दो दोनों शामिल हैं। बीएलए–एक विधानसभा क्षेत्र में पार्टी का प्रतिनिधि होता है, जबकि बीएलए–दो बूथ स्तर पर नियुक्त किया जाता है।
सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि अब तक राजनीतिक दलों द्वारा बीएलए की नियुक्ति अपेक्षाकृत कम है। इसलिए जिला चुनाव अधिकारियों ने सभी दलों से प्रत्येक बूथ पर एक एजेंट नियुक्त करने का आग्रह किया है। आयोग पहले ही बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) और बीएलए की संख्या के बीच असंतुलन पर आश्चर्य जता चुका है।
पिछले 28 अक्टूबर को हुई सर्वदलीय बैठक में सीईओ मनोज कुमार अग्रवाल ने इस कमी पर चिंता जताते हुए राजनीतिक दलों को पर्याप्त संख्या में बीएलए नियुक्त करने की सलाह दी थी। उन्होंने भरोसा दिया कि एसआईआर के दौरान बीएलओ सभी मान्यता प्राप्त दलों के बीएलए से नियमित संवाद बनाए रखेंगे।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बुधवार सुबह बताया कि बीएलओ और बीएलए का अनुपात अत्यधिक कम होने से नियमित संवाद और प्रक्रिया की पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है। इसी वजह से आयोग ने दलों को सक्रिय भूमिका निभाने पर जोर दिया है।
उल्लेखनीय है कि एसआईआर अभियान मार्च 2026 तक पूरा किए जाने की संभावना है। राज्य में इस तरह का पिछला विशेष पुनरीक्षण वर्ष 2002 में हुआ था।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर



