चंडीगढ़ मेट्रो चलाने का प्रशासन लेगा फैसला:प्रोजेक्ट के लिए केंद्र को डीपीआर तक नहीं भेजी गई, 2 साल में हो पाई 3 मीटिंग

चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला को जोड़ने वाली ट्राइसिटी मेट्रो परियोजना को लेकर एक बार फिर तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी पूरी तरह चंडीगढ़ प्रशासन की है और अब तक केंद्र को इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) नहीं मिली है। सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में मेट्रो परियोजना को लेकर कई सवाल किए थे, जिनमें प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति, पैसे के बंदोबस्त और केंद्र सरकार की भूमिका के बारे में जवाब मांगा गया था। इसके जवाब में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि मेट्रो जैसी शहरी परिवहन योजनाओं की योजना बनाना और उन्हें लागू करना संबंधित राज्य या यूटी की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि केंद्र ने 2006 की राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति, 2017 की मेट्रो रेल नीति और ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट नीति के तहत गाइडलाइन जारी की हुई है, जिनके आधार पर राज्य या यूटी प्रशासन डीपीआर बनाकर प्रस्ताव केंद्र को भेज सकते हैं। राइट्स की रिपोर्ट पर उठे सवाल ट्राइसिटी मेट्रो परियोजना की जरूरत को लेकर बनी समिति राइट्स की तरफ से तैयार रिपोर्ट पर लगातार सवाल उठा रही हैं। फरवरी 2024 में हुई अंतिम बैठक में पेश की गई स्टडी रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर भी शंका जताई गई थी। इसके बाद समिति ने सिफारिश की कि मेट्रो की सवारियों के वास्तविक और अनुमानित आंकड़ों को अन्य शहरों की परियोजनाओं और कैग रिपोर्ट के आधार पर जांचा जाए। 2 साल में सिर्फ 3 बैठक चंडीगढ़ ट्राइसिटी मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार ने 28 अप्रैल 2023 को यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) का गठन किया था। हालांकि अब तक केवल 3 बैठकें हुई हैं। पहली 18 जुलाई 2023, दूसरी 13 दिसंबर 2023 और तीसरी 2 सितंबर 2024 को हुई। इन बैठकों में मेट्रो परियोजना की संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा की गई थी। तीसरी बैठक के दौरान प्रशासन ने फैसला लिया कि राइट्स लिमिटेड से एक बार फिर से वित्तीय व्यवहार्यता का अध्ययन कराया जाएगा। हरियाणा के अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी गठित 1 नवंबर 2024 को हरियाणा के एक वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में नई कमेटी गठित की गई, जिसमें चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के अधिकारी शामिल हैं। यह कमेटी राइट्स और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर ट्राइसिटी मेट्रो की आर्थिक व्यवहार्यता का आकलन करेगी।

   

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