रास्ते पर नहीं थी जगह, पगडंडियों से श्मशान घाट पहुंचे गुरूजी के समर्थक
- Admin Admin
- Aug 05, 2025


रामगढ़, 5 अगस्त (हि.स.)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को संपूर्ण विध-विधान के साथ कर दिया गया। रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड अंतर्गत उनके पैतृक गांव नेमरा में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान इनके चाहने वालों का वहा हुजूम उमड़ा।
गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार की खबर जब लोगों को मिली, तो वे मंगलवार की सुबह से ही नेमरा पहुंचने लगे थे। गांव से लगभग सात किलोमीटर पहले लुकैयाटांड़ में ही जिला प्रशासन की ओर से बैरीकेडिंग कर दी गयी थी। वीआईपी लोगों के लिए हेलीपैड और गाड़ियों की व्यवस्था की गई थी। सात किलोमीटर तक का रास्ता वीआईपी जिला प्रशासन की ओर से बनाए गए रूट के हिसाब से ही तय कर पा रहे थे। लेकिन झारखंड मुक्ति सोर्चा (झामुमाे) और शिबू सोरेन के समर्थकों ने सात किलोमीटर की लंबी दूरी को पैदल ही पार करना स्वीकार किया।
आम लोग लुकैयाटांड़ से पैदल चलकर नेमरा पहुंचे। वहां भी रास्ते पर चलने की जगह नहीं थी। जिला प्रशासन की ओर से जिस रास्ते की मरम्मत श्मशान घाट तक जाने के लिए की गई थी, वह भी कीचड़ से भरा था। धान के खेत और कीचड़ में पटरी रखकर शव को ले जाने की व्यवस्था हुई थी। आम लोगों को जब वहां रास्ता नहीं मिला, तो वे खेतों की पगडंडियों पर उतर आए। श्मशान घाट के चारों तरफ अलग-अलग पगडंडियों से होकर शिबू सोरेन के समर्थक वहां पहुंचे। सबसे बड़ी बात यह थी कि जब वहां बारिश शुरू हुई, तो कुछ लोग वहां बने टेंट में छुपने लगे। लेकिन शिबू सोरेन के समर्थकों ने इस परिस्थिति में भी खुद को टिकाए रखा। लगभग आधे घंटे तक होने वाली बारिश में वे खड़े रहे और अंततः अपने नेता को श्रद्धांजलि अर्पित कर ही वापस लौटे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश



