जैविक खेती के अग्रदूत पद्मश्री नेकराम शर्मा ने बड़ागां में दी एनएसएस स्वयंसेवियों को जानकारी
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- Nov 11, 2024
शिमला, 11 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई शहीद सतीश कुमार राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बड़ागांव के विशेष शिविर के छठे दिन 11 नवम्बर को पूर्वाह्न मण्डी के नांज गांव से सम्बन्ध रखने वाले पद्मश्री नेकराम शर्मा ने स्वयंसेवियों को जैविक खेती की उपयोगिता पर विशेष व महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होने कहा कि प्राकृतिक खेती प्राचीन काल से चली आ रही परम्परा है।
उन्होने कहा कि रसायन आधारित खेती से जहां भूमि विषाक्त हो गई है वही उत्पादों में पौष्टिकता का नितांत अभाव हुआ है। रासायनिक खेती के कारण कीटनाशक तत्व के शरीर में चले जाने से आज व्यक्ति असाध्य रोगों की चपेट में आता चला जा रहा है। जैविक खेती प्राचीन काल से यहां लोकप्रिय रही है और पुराने अनाज जैेसे-कोदा,कांवणी,शिव-चावल,शांवक एवम नंगा जौ हमारे आहार का मुख्य अंग थे ।
नेकराम शर्मा ने बताया कि रेशेयुक्त अनाज से जहां पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्रा में शरीर को मिलते हैं वहीं मधुमेह जैसे घातक रोगों की सम्भावना नहीं रहती है। उन्होने गोबर, गोमूत्र, गुड़, दालों व जगली मिट्टी के संयोजन से जीवामृत तैयार करने की विधि के बारे में जानकारी दी।
नेक राम शर्मा ने बताया कि जंगल की अंधाधुध कटाई, जंगल की भयंकर आग एवम् रासायनिक दवाईयों के अधिकत्तम प्रयोग से पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो गया है। जल स्रोतों का जल स्तर घटता जा रहा है और पुरानी बावड़ियां विलुप्त हो चलीं हैं। ऐसे में पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिये पौधारोपण और प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। उन्होने अपनी ओर से पारम्परिक बीजों को विद्यार्थियों को आबंटित करने का आश्वासन दिया। नेकराम शर्मा ने प्राकृतिक खेती के प्रसार के लिये भारतीय गोवंश को पालने और उनके गुणकारी अवशिष्ट के प्रयोग पर बल दिया।
गौरतलब है कि नेकराम शर्मा लोक संस्कृति के पोषक रहे हैं जिन्होने विलुप्त हो रही पुरातन संस्कृति के संरक्षण के लिये निरन्तर प्रयास किये हैं। प्रधानाचार्य ने अपनी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक सतलुज घाटी की सांस्कृतिक परम्पराएं भेंट की। पुस्तक सतलुज घाटी की संस्कृति व परम्पराओं का जीवंत और शोधपरक दस्तावेज है।
सत्र के अंत में प्रधानाचार्य डॉ. हिमेन्द्र बाली ने नेकराम शर्मा के एनएसएस शिविर में आने के लिये आभार व्यक्त किया और कहा कि जैविक खेती दीर्घकालिक व्यवसाय है जिसके अनुपालन से स्वास्थ्य की सुरक्षा व पारिस्थितिकीय संतुलन की सम्भावना बढ़ जायेगी। इस सत्र के दौरान स्वयंसेवियों ने पद्मश्री नेकराम से जैविक खेती के बारे में मौलिक जानकारी प्राप्त की। सत्र में कार्यक्रम अधिकारी कपिल शर्मा,सह कार्यक्रम अधिकारी रीना भैक मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा